
दिसंबर में बढ़े तापमान की वजह से फलों और फूलों के जीवन चक्र में आमूलचूल तब्दीली आई है। पौधों में समय से पहले फल आ रहे है। अप्रैल माह में पकने वाले शहतूत दिसंबर माह में ही पकने लगा हैं। जानकर इसे ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव मान रहे हैं।
पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से दिसंबर के मध्य तक तापमान ज्यादा बना रहा। जिसकी वजह से जिले में अमरुद का फल नहीं हुआ। जशपुर, कुनकुरी, दुलदुला, फरसाबहार, कोतबा, पत्थलगांव में बड़े पैमाने पर अमरुद की खेती किसान कर रहे हैं। अमरुद की खेती करने वाले पतराटोली के किसान चंद्रू गुप्ता,लोरो के सुरेश चौधरी, बम्हनी के गोबर्धन होता ने बताया कि अमरुद से उन्हें अच्छी खासी आमदनी होती थी। मौसम में असामान्य बदलाव की वजह से अमरूद की फसल नहीं हुई। बोखी के किसान हरिश्चन्द्र पैंकरा, सिरगुलाम ने बताया कि मार्च से पकने वाले पपीता, केला दिसंबर में पक गए। शहतूत के पेड़ों में समय से पहले ही फल लगने लगे हैं। वहीं अंगूर, नींबू, लीची, तरबूज की फसल सामान्य से 15 दिन पहले तैयार होने लगी है।
पर्यावरण से छेड़छाड़ से आने लगा बदलाव
पर्यावरणविद शिवानंद मिश्रा ने बताया कि जिले में निर्माण कार्यों में बढ़ोत्तरी से नुकसान हुआ है। जिससे यहां का पर्यावरण प्रभावित हुआ है। पेड़ कटने से कार्बन सोखने की क्षमता प्रभावित हुई है। बारिश कभी कम तो कभी अत्यधिक होने के कारण जमीन को नुकसान पहुंचा है।
पौधो में हार्मोनल परिवर्तन से आए ये बदलाव
कन्या महाविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.प्रशांत सिंह ने बताया कि तापमान बढ़ने से पौधों में पुष्पन की प्रक्रिय जल्दी शुरू हो जाती है। यह पौधे की कुल उत्पादकता को घटा देती है। अगर आम का उदाहरण लिया जाए तो बढ़ा हुआ तापमान पुष्पन की प्रक्रिया को शीघ्र प्रारंभ कर देता है और पुष्पक्रम में वृद्धि कर देता है, जबकि कुल उत्पादकता घटा देता है। अन्य पौधों में भी समय से पूर्व पुष्पन एवं फल बनने की प्रक्रिया देखी जा सकती है। तापमान में असाधारण बदलाव से पौधों में हार्मोनल बदलाव होते है। इससे समय से पूर्व फलों व फूलों की आने लगे हैं।
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