नक्सलगढ़ दंतेवाड़ा के गांवों में तैनात सुरक्षा बल अब ग्रामीणों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए भी भागीदारी निभाएंगे। धुर नक्सलगढ़ जिन 32 गांवों में सुरक्षा बलों का कैंप है वो गांव गुलजार होंगे और वहां के ग्रामीण आर्थिक सशक्त। कारली, जावंगा से लेकर धुर नक्सलगढ़ गांव पोटाली, कोंडासांवली में रोजगार का अच्छा माहौल होगा। प्रशासनिक मदद से सब्जी, फल उत्पादित करेंगे, बकरी, मुर्गी, गाय पालन करेंगे। गांव में ही उत्पादित अंडा, चिकन, दूध, सब्जी, मसाले सहित अन्य सामानों का मार्केट कहीं और नहीं बल्कि उनके गांव में ही स्थित सुरक्षा बलों का कैंप होगा। यहां के कैंप के जवानों के लिए ये सामान खरीदे जाएंगे।
जिला प्रशासन के अफसरों ने पुलिस सीआरपीएफ़ के अफसरों के साथ बैठक में रणनीति तय कर इसके लिए काम भी शुरू कर दिया गया है। हर गांव से उन 100-100 लोगों का चयन हो रहा है, जिन्हें इन तमाम कामों से जोड़ा जाना है। इसका फायदा ये होगा 3200 लोग सीधे रोजगार से जुड़ेंगे। बताया जा रहा है कुछ जगह इसके लिए काम भी शुरू कर दिया गया है। दंतेवाड़ा कलेक्टर दीपक सोनी ने बताया कि ‘मनवा नवा गांव’ कार्यक्रम की शुरुआत कर दी गई है। सुरक्षा बलों के जवान बाहर से सामान मंगाने की बजाए अब उसी गांव के ग्रामीणों से ही सामान खरीदेंगे। इसके लिए ग्रामीणों को विभागीय योजनाओं से जोड़कर काम दिया जा रहा है। इसका अच्छा फायदा ग्रामीणों को मिलेगा। एसपी डॉ अभिषेक पल्लव ने बताया कि जितने भी जगह सुरक्षा बलों के कैम्प हैं वहां के प्रभारियों को बता दिया गया है कि उसी गांव के ग्रामीणों से ही सामान ख़रीदेंगे।
नक्सलगढ़ में इस प्लान का ये होगा फायदा
- ज़्यादातर कैम्प धुर नक्सलगढ़ गांवों में हैं। जहां फल सब्जी, दूध सहित अन्य दैनिक उपयोग के सामान पहुंचाना जोखिम भरा होता है। गांव में ही ये सामान मिल जाने से कैम्प में रहने वाले जवानों को भी आसानी होगी।
- कई बार जवानों के लिए सब्जी, दूध, राशन लेकर जा रही वाहनों को भी नक्सली आग के हवाले कर चुके हैं। ब्लास्ट, तीर से भी वाहन चालक को घायल करने जैसी घटनाएं हुई हैं। इस तरह की घटनाओं से बचा जा सकेगा।
- ग्रामीणों को बाहरी मार्केट की बजाए गांव में सुरक्षा बलों के कैम्प में मार्केट मिलेगा। सामान बेचकर तुरन्त पैसे भी मिलेंगे और वे आर्थिक समृद्ध होंगे।
- ग्रामीणों और जवानों के बीच बेहतर सम्बन्ध स्थापित होंगे।
- गांवों में गरीबी व नक्सल उन्मूलन पर भी फायदा मिलेगा।
जानिए सुरक्षा बलों के कैम्प
- 20 कैम्प - सीआरपीएफ
- 04 कैम्प - एसटीएफ
- 08 कैम्प - अन्य
ऐसे बनी रणनीति
दंतेवाड़ा के लोगों को रोजगार से जोड़कर आर्थिक समृद्ध बनाने युद्ध स्तर पर प्लानिंग चल रही है। प्रशासन ने पाया कि दूध, फल, सब्जी, अंडा, चिकन सहित अन्य खाद्य पदार्थो के लिए भी पड़ोसी प्रदेशों पर दंतेवाड़ा की निर्भरता है। दंतेवाड़ा का करोड़ो रुपये अन्य प्रदेशों को जाता है। अकेले सुरक्षा बलों के कैम्प में ही करोड़ों के सामान खपत होते हैं। ऐसे में रणनीति बनानी शुरू की।
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