धान उपार्जन केन्द्र में किसान धान बेचकर उसकी रकम आने का इंतजार कर रहे हैं। लगभग दो सप्ताह से किसानों के खाते में धान की रकम जमा नहीं हो पाई है।इसके कारण किसान परेशान नजर आ रहे है। उनका कहना है कि धान की रकम आने के बाद उन्हें कई लोगों का ऋण चुकाना पड़ता है। लेकिन धान बेचकर भी उन्हें उसकी कीमत नहीं मिल पा रही है। बताया जाता है कि 15 दिसंबर के बाद से किसानों के खाते में बेचे गए धान का भुगतान जमा नहीं हो रहा है। इसके कारण किसानों के सामने कई प्रकार की दिक्कतें खड़ी हो रही है। तिलडेगा से पहुंची दासमेट बाई, चरण साय ने बताया कि वे पिछले पंद्रह दिनों से अपने खाते में रकम आने का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन दो सप्ताह का समय बीतने के बाद भी उनके खाते में अब तक बेचे गए धान का भुगतान जमा नहीं हो पाया है। इसके कारण उनके सामने कई प्रकार की समस्या खड़ी हो गई है। यहां के धान उपार्जन केन्द्र की बात करें तो अब तक 727 किसानों ने अपना धान बेचा है। इसमें से 380 किसानों काे भुगतान नहीं हो पाया है। इसके कारण किसान अपना भुगतान पाने के लिए उपार्जन केन्द्र में आकर अपनी समस्या बता रहे है। उपार्जन केन्द्र में मंगलवार को विभिन्न क्षेत्रों से लगभग बीस से अधिक किसान पहुंचे थे। इन्होंने दो सप्ताह पूर्व अपना धान बेच दिया है, लेकिन आज तक उनके खाते मे भुगतान के नाम पर सौ रुपए भी नहीं डाले गए हैं। किसान खुद को ठगा बताने की भी बात कर रहे थे। उनका कहना था कि राज्य सरकार की ओर से किसानों को सुविधा पहुंचाने के लिए बड़ी-बड़ी बातें कही जा रही है।
खरीदी केंद्र में आए बारदाने
एक ओर जहां अधिकांश उपार्जन केन्द्रों में बारदानो की कमी की बातें सामने आ रही थी,तो जशपुर जिले के तमाम उपार्जन केन्द्रों में बारदानों का स्टॉक कर दिया है। कलेक्टर ने परेशानीको देखते हुए पिछले दिनों राइस मिलरों को नोटिस काटकर तमाम उपार्जन केन्द्रों में बारदानों की किल्लत दूर कर दी है, लेकिन राज्य सरकार की ओर से किसानों की समस्या पर ध्यानाकर्षण नहीं किया जा रहा है। बताया जाता है कि किसानों को धान बेचने के बाद राज्य से ही उनके खाते मे सीधे रुपए ट्रांसफर किए जाते हैं।
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