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Monday, April 27, 2020

अंबाला में फंसे मजदूरों ने भास्कर को सुनाई अपनी पीड़ा

हम लोगों को अपने प्रदेश बुलवा लें सर, बहुत तकलीफ में हैं। परिवार की चिंता सता रही है हमलोग बिहार आना चाहते हैं। सोमवार की सुबह अंबाला में फंसे शेखपुरा जिले के डीहकुसुम्भा गांव निवासी रामशीष यादव, कार्तिक तांती ने फोन कर दैनिक भास्कर को उन्होंने अपनी पीड़ा सुनाई। ‘दैनिक भास्कर’ से बातचीत में उक्त लोगों बे कहा कि हमलोग जालंधर मे काम करते थे और लाकडाउन होने के कारण हमलोग पैदल हीं बिहार के लिए निकले थे लेकिन लॉकडाउन में हमलोग अंबाला में आकर फंस गए हैं। पास में न पैसा है और न खाने को राशन। जिस के यहां काम करते थे, वह भी मदद नहीं कर रहा था।

अंबाला मे अभी हम लोग गुरुद्वारा मे शरण लिए हुये हैं। हम लोग के साथ यूपी व मध्यप्रदेश के लोग भी अंबाला मे ठहरे हुये थे। लेकिन उन लोगों को सरकार ने अपना प्रदेश बुला लिया है और वे सभी लोग चले गए हैं लेकिन हम लोग बिहार के शेखपुरा जिले के 36 लोग यहां बच गये हैं हम लोग को भी बिहार बुला लिजिये सर। रामशीष यह भी कहते हैं कि जालंधर में 200 से अधिक बिहारी मजदूर ठेकेदार के यहां दिहाड़ी पर काम करते थे। लॉकडाउन होने के बाद से उनके ठेकेदार फोन तक नहीं उठाते थे। पास में जो थोड़े पैसे थे, वह भी खत्म हो रहे था।

जिससे हारकर हमलोग पैदल हीं घर आने के इरादा लिए चल दिये थे लेकिन अंबाला में ही हमलोग को पकड़ लिया गया और एक गुरुद्वारा मे रखा गया है हलांकि खाना यहां अभी तक मिल रहा है लेकिन हमलोगों को परिवार की चिंता सता रही है। कार्तिक तांती कहते हैं कि हमारे घर मे बुढी मां है जिसे हम कमाकर पैसे भेजते थे तो उसका खाना पानी मिलता था लेकिन एक माह से उपर लाकडाउन हुये हो गया है। फोन से परिवार से बात होती है लेकिन बुढी मां मेरी किस हालत में है इसकी चिंता सता रही है। ऐसे हीं कई मजदूर हैं जो बाहर में फंसे हुए हैं और घर पर परिवार उसका इंतजार कर रहा है।



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The trapped laborers in Ambala narrated their pain to Bhaskar


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