लॉकडाउन के दौरान एक महीने से ज्यादा हो गया है कि सरकार ने शराब दुकानों को बंद रखा है। ऐसे में शराबबंदी की ओर कदम बढ़ाने के लिए सरकार को एक गांव की महिलाएं अपने मन की बात लिख रही है।यह गांव है देवरी (मोहंदीपाट) जहां सरपंच सहित 500 से ज्यादा महिलाएं सीएम के नाम पत्र में अपने मन की बात लिख कर राज्य में शराबबंदी की मांग कर रही हैं। महिलाओं का कहना है कि अब तक शराब दुकानें बंद रहने से गांव में बहुत ही सुख शांति है।
कहीं कोई झगड़ा फसाद नहीं हो रहा है, घर में भी कोई विवाद की स्थिति नहीं है। ऐसे में यह शांति और माहौल बना रहे इसलिए शराबबंदी आगे भी जरूरी है। महिलाओं व गांव के सभी लोगों का मानना है कि शराब ही फसाद की जड़ होती है। नशे के कारण ही कई अपराध होते हैं। जिससेे खुद और गांव का नाम भी खराब होता है। ऐसे में सीएम के नाम अपने मन की बात पत्र से भेज कर यह गांव शराबबंदी को लेकर आवाज उठा रहा है।
महिला सरपंच की है यह सोच, सभी महिलाओं ने दिया साथ
शराबबंदी को हमेशा के लिए लागू करने के लिए सीएम तक मन की बात पहुंचाने का यह आइडिया गांव की सरपंच नेम बाई का है। लॉकडाउन के दूसरे तीसरे दिन से उनके मन में यह ख्याल आया और उन्होंने गांव की अन्य महिलाओं को भी इस पर पत्र लिखने कहा। गांव की महिला कमांडो, भारत माता वाहिनी सहित अन्य संगठन भी इसमें सहभागी बनी और घर से ही सभी महिलाओं ने सीएम के नाम शराबबंदी के लिए पत्र लिखा। सरपंच ने कहा कि सभी पत्रों को सीएम के पते पर भेजा जा रहा है। उम्मीद करते हैं कि उनके पत्र पर सरकार विचार करेगी। कांग्रेस सरकार ने खुद सत्ता में आने से पहले ही शराब बंदी की घोषणा की है।
सीएम को लिखे पत्र में कोई पीड़ा व खुशी कर रही बयां
शराबबंदी के लिखे जा रहे इस पत्र में कोई महिला अपनी व्यक्तिगत पीड़ा को बयां कर रही है तो कोई शराब बंद होने से अब तक जो खुशी मिली उसे साझा कर रही है। कुछ महिलाओं ने शराब के कारण उनके घर में पहले हुए विवादों का भी जिक्र किया है जो आज शराब बंद रहने से शांति अनुभव कर रहे हैं। इसके अलावा कुछ महिलाओं ने गांव की भी हालात सुधरने की बात कही है। ग्राम विकास के मूल उद्देश्य के साथ आगे बढ़ने का जज्बा महिलाओं ने दिखाया है।
शराब के कारण तबाह हो जाते हैं परिवार, छिन जाती है शांति
महिला कौशल्या बाई, उषा साहू, मीनाक्षी, लता साहू का कहना है कि शराब खराब है। इससे कई परिवार तबाह हो जाते हैं। घर हो या गांव नशे के कारण अशांति का माहौल रहता है। हमारा गांव राजनांदगांव व बालोद जिले की सीमा क्षेत्र में है। यहां से 10 से 15 किमी की दूरी में 3- 3 शराब दुकानें हैं। युवा वर्ग नशे की ओर बढ़ रहे हैं। इन सब को रोकने शराबबंदी ही एक जरिया है। ताकि यह सुख और शांति बरकरार रहे। जब से शराब दुकानें बंद है घर में कोई विवाद नहीं हो रहा है।
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