एक ओर जहां लॉक डाउन में राजस्थान में फंसे कई सैकड़ों छात्रों को प्रशासन व्यवस्थाएं कर उनके घरों तक छोड़ रही है। वहीं राजस्थान के कई क्षेत्रों में मजदूरी करने गए लोगों को वापस लाने के लिए अभी तक कोई भी पहल नहीं कि गई है। राजस्थान के जैसलमेर में चांचौड़ा क्षेत्र के लगभग एक दर्जन गांवों के 200 लोग जैसलमेर में फंसे हुए हैं जो वहां जीरे की फसल कटाई करने गए हुए थे।
चांचौड़ा क्षेत्र के कालापीपल, मेरियाखेड़ी, नेशकला, फतेहपुर, कोन्या, पीपल्याकला, गुंजारी, सहित लगभग दो दर्जन से अधिक गांव के लोग जैसलमेर में जीरे की फसल कटाई के लिए गए हुए है। जो लॉक डाउन के चलते वहीं फंसे हुए है। जैसलमेर में फंसे हुए लोगों में दिवानसिंह, मदनलाल, रमेश, द्रोपतीबाई, सुगनबाई, मुकेश, पप्पूलाल, मुकुट, मोहरसिंह, विवेक, रवि, महावीर, मांगीलाल, नरेश, रामश्रीबाई, पूर्ति बाई, राकेश, रीना, अमरसिंह, हंसराज, सहित लगभग 200 से अधिक मजदूर फंसे हुए है।
फोन लगाकर किया संपर्क
दिहाड़ी मजदूर मोहरसिंह ने फोन पर संपर्क कर हमारे संवाददाता को बताया कि लॉक डाउन होने के बाद से ही हम जो यहां काम कर रहे थे वह बंद हो चुके है और अपने घर वापिस नहीं जा पा रहे है। जिससे समस्या हो रही है हम लोग तपती धूप में बीच रेगिस्तान में फंसे हुए है। मोहरसिंह नेशकला सहित सभी लोगों ने मप्र शासन से अपील की है कि हमें जल्द से जल्द अपने घरों तक पहुँचाया जाए।
अब परिजन कर रहे घर वापसी का इंतजार
राजस्थान के जैसलमेर सहित कई अन्य क्षेत्रों में भी यह दिहाड़ी मजदूर अपने घरों से दूर है जिनके वापस लौटने का परिजन इंतजार कर रहे है। क्षेत्र के लगभग सैकड़ों मजदूर रोजगार के लिए दूसरे प्रदेशों में भटक रहे हैं, परंतु महामारी के प्रकोप के चलते फंस गए है। आए दिन कई लोग पैदल ही सीमा पार कर अपने घरों को लौट रहे है। एक ओर जहां यह मजदूर मप्र शासन से मदद की गुहार लगा रहे है तो इनके परिजन भी शासन से इन फंसे हुए मजदूरों को अपने घरों तक सुरक्षित पहुंचाने की मांग कर रहें हैं।
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