छत्तीसगढ़ में जमीन की कीमत एक साल तक नहीं बढ़ेगी। राज्य सरकार ने 2019-20 की तय गाइडलाइन की कीमत में 30% राहत जारी रखने का फैसला किया है। इसका लाभ लोगों को 31 मार्च 2021 तक मिलेगा। सरकार का दावा है कि इस फैसले से लोग आसानी से संपत्ति की खरीदी कर सकेंगे और रियल एस्टेट के कारोबार में भी तेजी आाएगी।
सीएम भूपेश बघेल ने लोगों की सहूलियत को ध्यान में रखकर छूट जारी रखने के निर्देश दिए थे। कलेक्टर गाइडलाइन में कमी करने के बाद पहले इस छूट को इस साल 31 मार्च तक ही तक ही लागू किया गया था, लेकिन इसी महीने लॉकडाउन होने की वजह से इस छूट को पहले मई और बाद में जून तक बढ़ाया गया। राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने बताया कि लोगों की सहूलियत के लिए और बाजार तथा सरकारी कीमत के अंतर को खत्म करने के लिए इस छूट को एक साल तक के लिए और आगे बढ़ा दिया गया है। उन्होंने दावा कि कि पिछले साल कलेक्टर गाइडलाइन में कमी करने के बाद संपत्तियों की रजिस्ट्रियों की संख्या बेहद बढ़ी थी। इस साल भी लोग कम कीमत में रजिस्ट्री करवा पाएंगे। इससे उनके मकान की लागत भी कम होगी और रजिस्ट्री का खर्चा भी बचेगा। राजस्व मंत्री अग्रवाल ने कहा कि गाइडलाइन तय करने के लिए सभी जिलों से प्रस्ताव मंगाए जाते हैं, लेकिन इस साल लॉकडाउन की वजह से2019-20 की ही दरों को 31 मार्च 2021 तक के लिए लागू कर दिया गया है।
सरकारी कीमत स्थिर, इसलिए लोगों को फायदा
बिल्डरों की सबसे बड़ी संस्था क्रेडाई ने भी इस फैसले का स्वागत किया है। क्रेडाई के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आनंद सिंघानिया और छत्तीसगढ़ अध्यक्ष रवि फतनानी ने बताया कि सरकारी कीमतें स्थिर होने की वजह से जमीन की कीमत प्राइवेट और सरकारी सेक्टर में एक समान होगी। इसका फायदा आम लोगों को मिलेगा। अभी कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां बाजार भाव तो कम था, लेकिन उसी जमीन की सरकारी कीमत ज्यादा थी। ऐसे में रजिस्ट्री का खर्चा बहुत ज्यादा बढ़ जाता था।
जब देश में रोजगार बड़ी चिंता, तब छग में 10 हजार पंचायतों में 44 हजार काम, 26 लाख को मिला लाभ
राज्य सरकार ने मनरेगा से कोरोना के दर्द को दूर करने की कोशिश की है। ग्रामीणों को गांवों में ही रोजगार देने के लिए प्रदेश में बड़े पैमाने पर शुरू किए गए मनरेगा के कार्याें में 26 लाख दस हजार जरूरतमंद मजदूरों को काम मिला है। सीएम भूपेश बघेल ने गांवों में मनरेगा के जाॅब कार्डधारी अधिक से अधिक श्रमिकों को काम उपलब्ध कराने और प्रवासी मजदूरों की घर वापसी और उनकी क्वारेंटाइन अवधि पूरी होने के बाद काम की मांग करने वालोें को तत्काल रोजगार उपलब्ध कराने की तैयारी रखने कहा है। सभी जिलों में प्रशासन द्वारा मुस्तैदी के साथ इसकी तैयारी की जा रही है। लाॅकडाउन के दौरान छत्तीसगढ़ में मनरेगा काफी कारगर साबित हो रही है। मनरेगा में काम करने वाले श्रमिकों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। मनरेगा के जारी प्रतिवेदन के अनुसार छत्तीसगढ़ की 11 हजार 668 ग्राम पंचायतों में से 10203 ग्राम पंचायतों में 44833 कार्य चल रहे हैं, जिनमें 26.10 लाख श्रमिक काम कर रहे हैं। जिन श्रमिकों को मनरेगा के जाॅब कार्ड जारी किए गए हैं, उनमें से लगभग 79 प्रतिशत मजदूर वर्तमान में कार्यरत है। मनरेगा के तहत प्रदेश के 12 जिलों रायपुर, बिलासपुर, सरगुजा, कवर्धा, बीजापुर, महासमुन्द, दुर्ग, जीपीएम, राजनांदगांव, मुंगेली और बालोद जिले में 80 प्रतिशत से अधिक जाॅब कार्डधारी मजदूर कार्यरत है। राज्य के 12 जिलों बलौदाबाजार, गरियाबंद, बलरामपुर, बेमेतरा, धमतरी, जशपुर, नारायणपुर, जांजगीर-चांपा, दंतेवाड़ा, कोरिया, सूरजपुर और कांकेर में कार्यरत मजदूरों का प्रतिशत 79 से 60 प्रतिशत के बीच है। इसी प्रकार चार जिलों रायगढ़, कोरबा, कोण्डागांव और बस्तर जिले में कार्यरत जाॅब कार्डधारी मजदूरों का प्रतिशत 51 से 59 प्रतिशत के बीच है। मनरेगा के माध्यम से लॉक-डाउन के दौर में गांव में ही काम मिलने से श्रमिक राहत महसूस कर रहे हैं। श्रमिकों को समयबद्ध मजदूरी भुगतान ने परिवार के भरण-पोषण की चिंता दूर करने के साथ ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी गति दी है।
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