आकाश धनगर | कोरबा, रायपुर और चांपा की एयर क्वालिटी मानक स्तर से 9 गुना बढ़ चुकी है। इससे लोगों के स्वास्थ्य पर खतरा मंडरा रहा है। हवा में जहरीले तत्व बढ़ चुके हैं। राज्य स्वास्थ्य संसाधन केंद्र के रिसर्च में यह खुलासा हुआ है। रिसर्च के मुताबिक हवा में मैगनीज, निकल, लीड और सिलिकॉन जैसी धातुओं की मात्रा ज्यादा है। ये सभी स्वास्थ्य पर बुरा असर डालती हैं और इनसे श्वास से संबंधित बीमारियां और कैंसर होने का खतरा है।
रिसर्च के लिए तीन शहर की हवा को परखा गया। इनमें कोरबा, चांपा और रायपुर है। इन शहरों से 24 घंटे तक हवा से सैंपल लिए गए। इनमें पीएम वैल्यू 2.5 बढ़ा हुआ था।एसएचआरसी के कार्यकारी निदेशक डॉ. प्रबीर चटर्जी ने बताया कि हवा के सैंपल की रिपोर्ट स्वास्थ्य पर बुरा असर डालने वाली है। भारी मात्रा में इनकी मौजूदगी है। आने वाले समय में सेहत को बड़ा नुकसान हो सकता है। बढ़े हुए पीएम 2.5 के स्तर से फेफड़े और हृदय को नुकसान होता है। रिसर्च टीम के डॉ. ऑबिन मैथ्यू के अनुसार प्रदूषण के चलते त्वचा संबंधी समस्या भी बढ़ेगी। अभी भी त्वचा की जो समस्याएं आ रही हैं, वह भोजन की आदत के कारण नहीं, शायद प्रदूषण के कारण हो सकती हैं। हाल ही में कोरबा में हुए एक अध्ययन में पाया गया कि कटघोरा में सांस से संबंधित रोग बढ़ गए हैं। इसी तरह अस्थमा और ब्रोंकाइटिस (श्वास नली में सूजन) के लक्षण प्रदूषण प्रभावित क्षेत्र में 11.79 और 2.96 प्रतिशत था, जबकि प्रदूषण रहित क्षेत्र में यह 5.46 और 0.99 प्रतिशत था। क्रॉस-सेक्शनल तुलनात्मक अध्ययन से यह पता है कि थर्मल पावर प्लांटों के आसपास रहने वाले लोगों में इस बीमारी के होने के लक्षण ज्यादा हैं।
लॉकडाउन के बीच हवा की गुणवत्ता में सुधार नहीं
शाेधकर्ता पुनीता कुमार ने बताया कि मार्च से मई 2019 तक पीएम 2.5 के स्तर का विश्लेषण रायपुर में 5 और कोरबा में 3 जगहों पर किया गया। इसके परिणाम बताते है कि वर्ष 2019 और 2020 के बीच मार्च में उच्चतम और अप्रैल व मई का स्तर दोनों वर्षों के लिए लगभग समान है। रायपुर में फैक्ट्रियों और गाड़ियों के कारण ज्यादा प्रदूषण हुआ। लॉकडाउन के दौरान भी हवा की गुणवत्ता में कोई खास सुधार नहीं देखा गया।
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