नेहरू मेडिकल कॉलेज में पहली बार स्किन व चेस्ट एंड टीबी विभाग में पीजी की तीन-तीन सीटें मिली हैं। इनमें स्किन की तीनों सीटें भर चुकी हैं जबकि चेस्ट की एक सीट खाली रह गई है। पीजी की पहली पसंद रेडियो डायग्नोसिस, मेडिसिन, ऑब्स एंड गायनी, पीडियाट्रिक के अलावा एनीस्थीसिया, ऑर्थोपीडिक की सीटें भी खाली हैं। इन सीटों को भरने के लिए दूसरे चरण की काउंसिलिंग शुरू हो गई है, लेकिन आल इंडिया कोटे की सीटों से इस्तीफा देने का शनिवार को आखिरी दिन था। इसलिए अब सोमवार को आवंटन सूची जारी हाेने की संभावना है। वर्तमान में स्किन की सीटों की मांग काफी बढ़ गई है। कॉलेज प्रबंधन को लंबे समय से इस विभाग में पीजी सीट खोलना चाह रहा था लेकिन कुछ कमियों के कारण मान्यता नहीं मिल पा रही थी। जब मान्यता मिली तो पहले चरण में ही तीनों सीटें भर गई हैं। यही नहीं टॉप 10 में शामिल स्टूडेंट ने स्किन की सीट ली है। इसके अलावा प्री पीजी मेडिकल टेस्ट में टॉप 10 में रहे छात्रों ने रेडियो डायग्नोसिस के अलावा पीडियाट्रिक, स्किन, ऑब्स एंड गायनी, पीडियाट्रिक व ऑर्थोपीडिक विषय चुने हैं। लॉकडाउन के कारण छात्रों को ऑनलाइन एडमिशन लिया है। वे अभी तक कॉलेज नहीं पहुंच पाए हैं। उन्हें आफलाइन एडमिशन के लिए लॉकडाउन खुलने तक का समय दिया गया है। पहले चरण की काउंसिलिंग में पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में रेडियो डायग्नोसिस, मेडिसिन, गायनी व चेस्ट समेत 33 सीटें खाली है। आल इंडिया कोटे की सीटों की वास्तविक स्थिति शनिवार को पता चल गई, लेकिन छुट्टी के कारण सोमवार को डीएमई कार्यालय स्टेट कोटे की कुल खाली सीटों के बारे में बताएगा। आल इंडिया कोटे की जो सीटें खाली रहेंगी वह स्टेट में कन्वर्ट हो जाएगी। इसलिए स्टेट कोटे की संख्या बढ़ने की संभावना है। दूसरी ओर सिम्स बिलासपुर में 10, रायगढ़ व जगदलपुर मेडिकल कॉलेज में तीन-तीन सीटें खाली हैं। इस तरह 85 सीटों को भरने के लिए दोबारा ऑनलाइन पंजीयन पहले ही करवा लिया गया था। इसमें शामिल छात्रों को मेरिट व केटेगरी के हिसाब से एडमिशन दिया जाएगा।
भिलाई स्थित निजी मेडिकल काॅलेज की कुल 26 सीटों में किसी का खाता नहीं खुला है। इसलिए प्रबंधन की चिंता बढ़ गई है। कॉलेज को पहली बार पीजी सीटों की मान्यता मिली है। ये विषय बायो केमेस्ट्री, माइक्रो बायोलॉजी, पीएसएम, पैथोलॉजी, फोरेंसिक मेडिसिन, एनाटॉमी, फार्माकोलॉजी की सीटें हैं।दरअसल ये सीटें नॉन क्लीनिकल व पैरा क्लीनिकल है इसलिए छात्रों को पसंद नहीं आई। पैथोलॉजी में एडमिशन हो सकता है लेकिन भारी-भरकम फीस के कारण छात्र बिदक सकते हैं। नेहरू मेडिकल कॉलेज में भी नॉन व पैरा क्लीनिकल विभागों की सीटें पिछले पांच साल से खाली होने के कारण लैप्स हो रही हैं।
क्लीनिकल सीटें पहली पसंद क्योंकि इसमें प्रैक्टिस अच्छी
मेडिकल पीजी में क्लीनिकल सीटें पहली पसंद होती है। सीनियर कैंसर सर्जन डॉ. युसूफ मेमन व हिमेटोलॉजिस्ट डॉ. विकास गोयल का कहना है कि सरकारी व निजी कॉलेजों में क्लीनिकल सीटें पहली भरती हैं। मेडिसिन करने के बाद कार्डियोलॉजी, हिमेटोलॉजिस्ट, इंडिक्रियोनोलॉजिस्ट, न्यूरो फिजिशियन करना आसान हो जाता है। जबकि सर्जरी विषय लेने पर न्यूरो, प्लास्टिक, यूरो, गैस्ट्रो सर्जरी में सुपर स्पेश्यालिटी कोर्स करने का मौका मिलता है। यही कारण है कि पिछले कुछ साल से नॉन क्लीनिकल की सीटें खाली रह रही हैं। इसमें एम्स, पीजीआई, सरकारी व निजी कॉलेज शामिल हैं।
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