पेट की भूख और परिवार चलाने की चिंता ने नन्हे विकास को 7 वर्ष की उम्र में ही जवाबदेह बना दिया है। विकास बंशीधर नगर अनुमंडल मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर गरबांध गांव का रहने वाला है। मां- बाप चार पैसे के लिए जंगल में लकड़ी काटने चले जाते हैं।
इधर विकास अपनी 4 माह की बहन निशा को अपनी पीठ पर बांधकर दातुन की गठरी लेकर चार पैसे जुटाने की जुगाड़ में घर से पैदल ही बंशीधर नगर के लिए निकल जाता है। पूरे दिन बहन को पीठ पर बांधकर वह दातुन बेचता है। उससे मिले पैसे के अनाज खरीद कर घर पहुंचता है। यह उसकी दिनचर्या हो गई है।
बहन को रोता देख नहीं सकते : विकास ने संवाददाता को बताया कि जब मां-बाप लकड़ी काटने जंगल चले जाते हैं तो यह छोटी रोने लगती है। मां इसे जंगल नहीं ले जाना चाहती, और मैं इसे रोते देख नहीं सकता। इसलिए अपने साथ ही पीठ पर बांध कर रखता हूं। बीच में कुछ खिला भी देता हूं।
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