बीतीरात नक्सलियों ने जिले में उपद्रव मचाते हुए सुरेवाही व कोयलीबेड़ा के तेंदूपत्ता अस्थाई गोदाम में आग लगा दी। सुरेवाही में तेंदूपत्ता से भरे 1222 बोरे जलकर खाक हो गए। कोयलीबेड़ा में नक्सलियों द्वारा लगाई गई आग को मजदूरों ने हिम्मत दिखाते हुए भड़कने से पहले ही बुझाकर और बड़े नुकसान को रोक दिया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार इस घटना को नक्सलियों ने अंजाम दिया है जबकि एडिशनल एसपी कीर्तन राठौर का कहना है कि आग नक्सलियों ने लगाई है या असामाजिक तत्वों ने यह जांच का विषय है।
सिकसोड़ थानांतर्गत ग्राम सुरेवाही में चारगांव तेंदूपत्ता समति ने अपना अस्थाई गोदाम बनाया है। इसमें चारगांव के हजारों तेंदूपत्ते के बोरों को सुरेवाही में डंप किया गया है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार मंगलवार 3 जून की रात 11 बजे अंधेरे का फायदा उठाते कुछ नक्सली पहुंचे थे। चारगांव तेंदूपत्ता समिति द्वारा सुरेवाही में बनाए तेंदूपत्ता गोदाम के एक हिस्से में आग लगा दी। घटना को अंजाम देकर भाग गए लेकिन नक्सलियों की दहशत के चलते यहां मौजूद लोगों में कोई भी उसे बुझाने सामने नहीं आया। इससे एक फड़ में रखे तेंदूपत्ते से भरे 1222 बोरे जलकर पूरी तरह खाक हो गए। बाकी फड़ तक आग नहीं पहुंचने के कारण वह सुरक्षित है। इसी रात 11 बजे नक्सलियों की दूसरी टीम कोयलीबेड़ा में बने तेंदूपत्ता गोदाम में पहुंची। यहां कामतेड़ा की समिति ने तेंदूपत्ता डंप किया था जिसमें नक्सली आग लगाकर चले गए। नक्सलियों के जाते ही यहां मौजूद मजदूरों ने तत्काल अपने स्तर पर आग को बुझाना शुरू कर दिया। आग भड़कने के पहले ही उस पर काबू पा लिया गया। यहां कुछ बोरे का कुछ ही भाग आग की चपेट में आया।
हर बोरे में होता है करीब 36 हजार रुपए का तेंदूपत्ता
आगजनी में सुरेवाही गोदाम में बड़ा नुकसान हुआ है जबकि कोयलीबेड़ा में आग बुझा देने से बड़ा नुकसान होने से बच गया। दोनों जगह के नुकसान का स्पष्ट आंकलन नहीं हो पाया है। एक बोरे में 8 सौ से एक हजार बंडल तेंदूपत्ता भरा होता है। एक बंडल की कीमत 4 रूपए है। एक बोरे में औसतन 9 सौ बंडल ही माने तो उसकी कीमत 3600 रूपए होती है। इस तरह आकलन करें तो 1222 बोरा तेंदूपत्ता का नुकसान 43.99 लाख रूपए होता है।
नदी-नालों के कारण मैदानी इलाके में बनाए गोदाम
तेंदूपत्ता समितियों द्वारा नदी नाले के मद्देनर तेंदूपत्ता का गोदाम मैदानी इलाके में बनाया जाता है। जहां गांव में खरीदी करने के बाद उसके ट्रेक्टर आदि से इन अस्थाई गोदामों तक लाया जाता है। यहां से ठेकेदार अपना तेंदुपत्ता ट्रक में लोड कर बाहर ले जाता है। चारगांव समिति के अंदर आने वाले गांव तथा कामतेड़ा तक नदी नाले होने के कारण इनका गोदाम सुरेवाही व कोयलीबेड़ा में बनाया गया है।
ठेकेदार-नक्सलियों के बीचलेनदेन का हो सकता है मामला
कहा जा रहा है कि नक्सलियों द्वारा तेंदूपत्ता को आग लगाने का सीधा कारण ठेकेदार को नुकसान पहुंचाना है। सूत्रों के अनुसार नक्सल इलाकों में काम करने के लिए ठेकेदार नक्सलियों से सांठगांठ करते हैं। किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाने के एवज में नक्सलियों तक स्थानीय माध्यम से पैसा पहुंचाया जाता है। यही पैसा समय पर नहीं पहुंचने से नक्सली इसी तरह के वारदात को अंजाम देकर ठेकेदार को चेतावनी देते रहते हैं। इस घटना के पीछे भी आशंका जताई जा रही है कि यह लेनदेन का मामला हो सकता है।
घटना स्थल थाने से 5 सौ मीटर दूर, सुरक्षा पर सवाल
कोयलीबेड़ा में थाना से महज 5 सौ मीटर के अंदर ही यह अस्थाई गोदाम बनाया गया है। जहां आसानी से नक्सली पहुंच कर पत्तों में आग लगा भाग गए। थाना के इतने करीब आकर वारदात को अंजाम देने कारण सुरक्षा को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
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