612वें श्रीगोंचा महापर्व के दौरान आसाढ़ शुक्ल पक्ष सप्तमी पर रविवार को जनकपुर में भगवान जगन्नाथ को छप्पन भोग लगाया गया। इस मौके पर सैकड़ों की संख्या में भक्त सिरहासार के सामने मौजूद रहे। 360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज की ओर से इस विधान को ओंकार पांडे व दीप्ति पांडे के परिवार द्वारा आस्था और भक्ति भाव से पूरा किया गया। पांडे परिवार और समाज के सदस्यों ने मिलकर भगवान को यहभोग अर्पित किया।
शाम को वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पूजा अर्चना की गई, इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। सभी ने मास्क लगाकर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया। लोगों को सबसे पहले हाथ धुलवाकर और सैनिटाइज कराने के बाद ही मंदिर में प्रवेश दिया गया।
इसलिए लगाते हैं भगवान को 56 भोग
छप्पन भोग के पीछे कई रोचक कथाएं हैं। 360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज के सदस्य नरेंद्र पानीग्रही ने बताया हिन्दू मान्यता के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण एक दिन में 8 बार भोजन करते थे। जब इंद्र के प्रकोप से सारे ब्रज को बचाने भगवान ने गोवर्धन पर्वत को उठाया था, तब लगातार 7 दिन तक भगवान ने अन्न, जल ग्रहण नहीं किया। दिन में 8 प्रहर भोजन करने वाले ब्रज के नंदलाल कन्हैया का लगातार 7 दिन तक भूखा रहना उनके भक्तों के लिए कष्टप्रद की बात थी। भगवान के प्रति अपनी अनन्य श्रद्घा भक्ति दिखाते हुए ब्रजवासियों ने सात दिन और आठ प्रहर का हिसाब करते हुए 56 प्रकार का भोग लगाकर अपने प्रेम को प्रदर्शित किया। तभी से भक्तजन कृष्ण भगवान को 56 भोग अर्पित करते हैं। उन्होंने बताया कि सालों से चली आ रही इस परंपरा का पालन बस्तर में गोंचा महापर्व के दौरान तो वहीं पुरी में आज भी भगवान को हर दिन 56 भोग चढ़ाया जाता है। पानीग्रही ने बताया कि एक दिन में सात पहर होते हैं । माता यशोदा कृष्ण को एक दिन में 8 बार भोजन कराती थी। इसलिए भगवान को 56 भोग लगाया जाता है।
बनियागांव और जैबेल क्षेत्र के ग्रामीणों ने लगाया भोग
15 जून से शुरू हुए अमनिया कार्यक्रम में हर दिन अलग-अलग क्षेत्र के लोगों द्वारा भगवान जगन्नाथ को भोग लगाया जा रहा है। रविवार को बनियागांव और जैबेल क्षेत्र के 10 गांव के लोगों ने भगवान को भोग लगाया। आने वाले दिनों में बाहुड़ा गोंचा हो सकता है।
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