राज्यपाल अनुसुइया उइके ने कुलपति की नियुक्ति में राज्यपाल के अधिकारों की कटौती और कुशाभाऊ ठाकरे यूनिवर्सिटी का नाम बदलने के विधेयक पर उच्च शिक्षा विभाग से जवाब मांगा है। बजट सत्र में दोनों विधेयक पारित करने के बाद राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा गया था। इसे फिलहाल राज्यपाल ने मंजूरी नहीं दी है। इस मसले पर राज्यपाल और सरकार के बीच फिर से टकराव बढ़ने के आसार हैं। उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल भी सीएम भूपेश बघेल से मिलकर ब्रीफ कर सकते हैं।
राज्य सरकार ने आंध्रप्रदेश और कर्नाटक की तर्ज पर सीधे कुलपति की नियुक्ति करने का फैसला किया है। इस संबंध में विधेयक भी पारित किया है।दरअसल, इस विवाद की शुरुआत पं. सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति से हुई थी। राज्यपाल ने दोनों जगह जिन कुलपतियों की नियुक्ति की है, उन्हें आरएसएस बैकग्राउंड का माना जाता है। सरकार इनके पक्ष में नहीं थी। इसके बाद ही सरकार ने कुलपति की नियुक्ति का अधिकार अपने पास करने के लिए कैबिनेट में प्रस्ताव पास किया। इसके बाद विधेयक को बजट सत्र में मंजूरी भी दे दी। इसके साथ ही ठाकरे यूनिवर्सिटी के नाम चंदूलाल चंद्राकर के नाम पर करने का विधेयक भी पारित किया है। इसे मंजूरी के लिए राज्यपाल को भेजा गया था, लेकिन राज्यपाल ने फिलहाल मंजूरी नहीं दी है। माना जा रहा है कि इसको राष्ट्रपति को भेजा जा सकता है। पहले भी कई विधेयकों को राष्ट्रपति को भेजा गया था। इसमें सहकारिता संशोधन विधेयक भी शामिल है। बहरहाल, सरकार के जवाब के बाद राजभवन के रूख का इंतजार किया जा रहा है।
भाजपा ने दर्ज कराई थी आपत्ति
कुशाभाऊ ठाकरे यूनिवर्सिटी का नाम बदलने के प्रस्ताव पर भाजपा ने नाराजगी जताई थी। इसे लेकर भाजपा विधायक दल ने राज्यपाल उइके से मुलाकात की थी और यूनिवर्सिटी का नाम बदलने का विरोध किया था। भाजपा ने तर्क दिया था कि चंद्राकर के नाम पर कोई नया संस्थान बनाते, जिसका लाभ लोगों को मिलता।
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