बिशुनपुर प्रखंड के 25 गांवों में 32 उत्पादक समूह बनाकर लेमन ग्रास की खेती कराई जा रही है। बिमला देवी ने बताया कि चमेली आजीविका सखी मंडल समूह की महिलाओं के साथ लेमन ग्रास की खेती कर रही हैं। सभी महिला समूह में यह फैसला किया गया लेमन ग्रास की खेती कर अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। इसलिए गांवों में पहल की गई। सुशांति देवी सहित अन्य महिलाओं ने बताया कि इसकी खेती चार महीने में तैयार होती है। लेमन ग्रास का तेल निकाला जाता है। इसकी कीमत 1000 से 2000 रुपए प्रति लीटर है।
फायदा... लेमन ग्रास नहीं खाते मवेशी
बिमला देवी ने बताया कि लेमन ग्रास को मवेशी नहीं खाते। ऐसे में लेमन ग्रास की खेती आसानी से की जा सकती है। इसका फायदा मिलता है। इसे देखते हुए लेमन ग्रास की खेती सब लोगों ने मिलकर की। पहली बार में ही लाखों रुपए की आमदनी समूह को हुआ। इसके बाद और वृहद पैमाने पर इसकी खेती की शुरुआत की गई। सुशांति देवी सहित अन्य महिलाओं ने बताया कि एक बार लगाने के बाद दूसरी बार लेमन ग्रास को नहीं लगाना पड़ता है। तैयार लेमन ग्रास घास को मशीन में डालकर तेल निकाला जाता है। उन्हें बाजार भी जाने की जरूरत नहीं पड़ती है। व्यापारी समूह से ही संपर्क कर तेल खरीद कर ले जाते हैं।
एक बार खेती करने पर 5 साल लगाना नहीं पड़ता है
लेमन ग्रास को एक बार लगाने के बाद यह 5 वर्षों तक रहता है। इसके बाद उससे तेल निकाला जाता है। इसके साथ ही लेमन ग्रास को ग्रामीण इलाकों में चाय पत्ती के रूप में भी उपयोग किया जाता है। लेमन ग्रास की चाय से कई प्रकार की बीमारियों से निजात मिलती है। तेल निकालने, इसकी जड़ को बिचड़े के रूप में बेचने और पत्ते को सुखाकर चाय पत्ती के रूप में बेचने का काम करते हैं जोरशोर से किया जा रहा है। 25 गांवों में 32 उत्पादक समूह बनाकर लेमन ग्रास की खेती हो रही है।
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