मैनपाट में करीब दो दशक से बंद कालीन बुनाई का काम फिर शुरू कराया गया है। स्थानीय लोगों को प्रशिक्षित कर उन्हें इससे रोजगार से जोड़ा गया है। 20 ग्रामीण कालीन तैयार कर रहे हैं।
आने वाले समय में अधिक से अधिक स्थानीय बेरोजगारों को इससे जोड़ने की तैयारी है। यहां मध्य प्रदेश जमाने में कालीन बुनाई के प्रशिक्षण के लिए भवन तैयार किया गया था। कुछ साल प्रशिक्षण के बाद केंद्र में ताला लग गया। इससे जो लोग प्रशिक्षण लिए थे उन्हें काम के सिलसिले में बाहर जाना पड़ा। यहां तैयार होने वाली कालीन की प्रदेश के अलावा बड़े शहरों में डिमांड थी। इसे देखते हुए फिर से कालीन तैयार करने का काम शुरू किया गया है। मैनपाट इलाके के देवगढ़, जजगा, डांडबुड़ा के अलावा जशपुर के बगीचा के बुनकर कालीन बना रहे हैं। अब तक ये बुनकर रोजगार के लिए भदोही, मिर्जापुर जाकर कालीन तैयार करते थे। स्थानीय स्तर पर उन्हें अब काम मिलने लगा है। इससे प्रभावित होकर बड़ी संख्या में ग्रामीण प्रशिक्षण के लिए आगे आ रहे हैं।
यूनिट लगने से अधिक लोगों को मिलेगा रोजगार
हस्त शिल्प विकास बोर्ड के मैनेजर के अनुसार कालीन बुनाई के लिए मैनपाट में प्रोसेसिंग यूनिट लगाने की तैयारी है। इससे बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिल सकेगा। प्रशिक्षण के बाद लोग खुद का कारोबार शुरू कर सकते हैं। कालीन के लिए यूपी के भदोई से धागा सहित रॉ मटीरियल उपलब्ध कराया जाता है।
कालीन तैयार करने वाले हर हफ्ते कमा रहे दो हजार रुपए
हस्त शिल्प विकास बोर्ड अंबिकापुर मैनेजर राजेंद्र राजवाड़े ने बताया कि लोगों को रोजगार से जोड़ने के लिए कालीन बनाने का काम फिर से शुरू कराया गया है। बाजार से लेकर इसके लिए धागे और जरूरी सामान उपलब्ध कराए गए हैं। हर एक बुनकर हफ्ते में दो हजार रुपए तक कमा रहा है। कालीन का बाजार अच्छा है। अंबिकापुर में आकाशवाणी चौक के पास हस्त शिल्प बोर्ड का संग्रहालय है। जहां कालीन बिक्री के लिए उपलब्ध हैं। एक कालीन साढ़े पांच हजार रुपए तक की है।
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