बकावंड के राजनगर में लगाई गई काजू प्रसंस्करण यूनिट का फायदा बस्तर की महिलाओं को मिलने लगा है। पिछले साल 28 महिला समूहों ने 42 क्विंटल काजू की प्रोसेसिंग की थी। वहीं इस साल इन समूहाें की 300 महिलाओं ने 5511 क्विंटल काजू की प्रोसेसिंग कर 1 करोड़ 82 लाख 43 हजार रुपए कमाने का लक्ष्य रखा है। इन महिलाओं ने 4 महीने में 6.79 क्विंटल प्रसंस्कृत काजू में से 1.45 क्विंटल काजू बेचकर 63 हजार 481 रुपए कमा चुकी हैं। जानकारी के मुताबिक बकावंड, राजनगर और करमरी गांव की 300 महिलाओं ने इस साल राज्य लघु वनोपज संघ (फेडरेशन ) के माध्यम से मिले पैसे से 4 महीने में 600 करोड़ रुपए से 5511 क्विंटल काजू हाट बाजारों से खरीदा था, जिसकी प्रोसेसिंग इन दिनों इनके द्वारा की जा रही है।
मुख्य वन संरक्षक मोहम्मद शाहिद ने बताया कि ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने वनधन विकास योजना और मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना के तहत महिला समूह द्वारा लघु वनोपज का संग्रहण और प्रसंस्करण कार्य किया जा रहा है। जिला यूनियन जगदलपुर एवं बस्तर वनमण्डल के अंतर्गत प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति बकावंड के ग्राम राजनगर में काजू प्रसंस्करण केंद्र की स्थापना छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ रायपुर द्वारा यूरोपियन कमीशन योजना के तहत वर्ष 2013 में की गई थी। इस काम के बदले समूह की महिलाएं आसानी से 1 करोड़ 82 लाख 43 हजार रुपए कमा लेंगी। गौरतलब है कि राजनगर के प्रसंस्करण यूनिट में बस्तर जिले के साथ ही जिला यूनियन रायगढ़ से 357.20 क्विंटल एवं भानुप्रतापपुर से 390.79 क्विंटल प्राप्त काजू का भी प्रसंस्करण किया जाएगा। बस्तर में काजू के पौधे वर्ष 1979 से शासन के विभिन्न योजनाओं में लगाए जा रहे हैं, जिसके चलते काजू का रकबा 15 हजार हेक्टेयर पहुंच चुका है। इन पौधों से हर साल ग्रामीण 7 से 10 हजार क्विंटल काजू संग्रहण कर इसे बेचकर कमाई करते हैं। समूहों को काजू खरीदने के लिए 100 रुपए प्रति किलो के हिसाब से पैसे दिए गए थे।
समितियों ने सबसे अधिक खरीदी 2013 में की
डीएफओ स्टायलो मंडावी ने बताया कि जिला यूनियन जगदलपुर के अंतर्गत प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति के माध्यम से वर्ष 2013 से लगातार काजू फल का संग्रहण एवं प्रसंस्करण कराया जा रहा है, किंतु संग्रहण की अधिकतम मात्रा वर्ष 2013 में 491.64 रही, जबकि वर्ष 2016 में 68.00 क्विंटल, 2017 में 177.00 क्विंटल, 2018 में 129.00 क्विंटल एवं 2019 में 42.00 क्विंटल काजू का संग्रहण किया गया। काजू प्रसंस्करण केंद्र (राजनगर) बकावंड का संचालन मां धारिणी करीन स्वसहायता समूह द्वारा किया जा रहा है। वर्ष 2020 में वन धन विकास योजनांतर्गत 13 प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति के 69 महिला स्वसहायता समूहों ने 10 हजार रुपए प्रति क्विंटल की दर से लगभग 6 हजार संग्राहकों से 4 करोड़ 76 लाख 35 रुपए खर्च कर 4763.59 क्विंटल काजू खरीदा। बकावंड में चल रही इस प्रसंस्करण यूनिट में महिलाओं को प्रशिक्षण आईसीएआर निर्देशालय काजू अनुसंधान पुत्तुर कर्नाटक द्वारा ऑनलाइन दिया जा रहा है।
सांसद ने काजू-हल्दी खरीदने रक्षा मंत्री को लिखा पत्र
बस्तर सांसद दीपक बैज ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को लिखे पत्र में बस्तर में पैदा होने वाले काजू और हल्दी को सेना के कैंटीन में केंद्रीय खरीदी की मांग की । उन्होंने कहा कि यदि उनकी मांग को मान लिया जाता है इसका फायदा बस्तर के लोगों को बड़े पैमाने पर मिलेगा।
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