सावन का महीना होने के बावजूद बारिश नहीं होने से गर्मी और उमस बढ़ती चली जा रही है। जबकि दशकभर पहले तक सावन के महीने में लगातार बारिश होती थी। बताया जाता है कि बस्तर में अब बादलों को आकर्षित करने वाला वातावरण नहीं बन पा रहा है, जिसके चलते बारिश ही नहीं हो रही है। 6 जुलाई से शुरू हुए सावन के महीने में अब तक 201.7 मिमी बारिश ही हो सकी है। इसमें भी खंड वर्षा होती रही, जिसमें कहीं बारिश हुई तो कहीं हुई ही नहीं। ग्रामीण इलाकों में कुछ जगहों पर हुई बारिश के बाद ये आंकड़ा निकलकर सामने आया है। जबकि शहर में बारिश हुई ही नहीं है।
दरअसल, अभी भी बनने वाले सिस्टम से बादल तो छा रहे हैं और इन बादलों के चलते ऐसा लग रहा है कि अब अच्छी बारिश होगी, लेकिन पूरे दिन बादलों के छाने के बाद शाम तक वातावरण सूखा ही बना रहता है। वहीं बादलों के छाने के साथ उमस और गर्मी भी लगातार बढ़ती चली जा रही है। ऐसा भी बताया जाता है कि हवा का दबाव बढ़ जाने से बादल बरस ही नहीं पाते, जबकि बादलों का दबाव बढ़ता है तो अच्छी बारिश होती है। बस्तर में भी कुछ ऐसा हो रहा है।
लगातार घटते क्रम पर है वर्षा
बीते 15 सालों के बारिश के आंकड़े देखें तो साल 2006 में 31 जुलाई तक 678.8 मिमी बारिश हुई थी, लेकिन इसके बाद साल दर साल बारिश कम होती चली गई और इसके अगले 3 सालों में, 2007 में घटकर 572.3 मिमी, 2008 में 501.3 मिमी और साल 2009 में 247.1 मिमी ही रह गई। बीते डेढ़ दशक से बारिश लगातार घटते क्रम पर है। हालांकि बीच के कुछ सालों में बारिश सामान्य रही, लेकिन उसके अगले साल फिर बारिश घट गई।
अधिकतम तापमान 33.2 डिग्री पर पहुंचा, बढ़ रही गर्मी
शुक्रवार को अधिकतम तापमान बढ़ता हुआ सामान्य से 4 डिग्री ज्यादा 33.2 डिग्री तक पहुंच गया है, वहीं न्यूनतम तापमान सामान्य से 2 डिग्री ज्यादा 24.4 डिग्री पर है। बीते 24 घंटों में बारिश ही नहीं हुई, जिसके चलते तेज धूप निकली रही। इधर हवा में नमी का प्रतिशत घटकर 61 प्रतिशत तक पहुंच गया है। हवा में कम हो रही नमी के कारण गर्मी बढ़ गई है, जिससे लोगों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
हवा का दबाव बढ़ रहा इसलिए नहीं हुई बारिश
मौसम वैज्ञानिक एचपी चंद्रा बताते हैं कि कई बार ऐसा होता है कि बादल छाने के बावजूद बारिश नहीं होती। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि बादलों के छाने के बावजूद हवा का दबाव बढ़ जाता है, जिसके चलते बादलों को बरसने के लिए उपयुक्त वातावरण नहीं मिल पाता, जिससे वे हवा के साथ उड़कर दूसरी जगहों पर पहुंच जाते हैं। वहीं जब हवा का दबाव कम होता है तो इलाके में कम दबाव का क्षेत्र बन जाता है, जिससे अच्छी बारिश होती है।
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