कमर्शियल माइनिंग की मांग लेकर जिले के कई कोल माइंस एरिया में काम करने वाले करीब 16 हजार श्रमिकों ने 5 यूनियन के संयुक्त आह्वान पर कोल उत्पादन को पूरी तरह से ठप कर दिया है। एक अनुमान के मुताबिक 2 दिन में करीब 44 हजार टन कोयला उत्पादन श्रमिकों ने प्रभावित कर दिया है। एसईसीएल के पांचों श्रमिक संगठन केंद्र सरकार के कोयला नीति के खिलाफ लामबंध है। 2 जुलाई से शुरू हुई तीन दिवसीय हड़ताल के दूसरे दिन भी जिले के चिरमिरी, हसदेव, बैकुंठपुर क्षेत्र में संचालित खदानों से कोयला उत्पादन नहीं हुआ।
3 दिवसीय देश व्यापापी हड़ताल के दूसरे दिन कोल प्रबंधन के प्रयास के बाद भी कोयला खदानों में कोयला उत्पादन नहीं हो सका, प्रबंधन ने श्रमिकों से बातचीत करने की पेशकश की, लेकिन सब बेकार साबित हुआ। पहले दिन की तरह ही हड़ताल सफल रही। पांचों श्रमिक संगठन के पदाधिकारी सदस्य हड़ताल को सफल बनाने पहले दिन की तरह ही दूसरे दिन भी सुबह से सक्रिय रहे। वहीं काॅलोनी में रहने वाले श्रमिक परिवार की सुविधाओं को ध्यान रखते हुए जरूरी सेवाओं पेयजल, बिजली, स्वास्थ्य सेवा को दूसरे दिन भी हड़ताल से बाहर रखा था। श्रमिक संगठन एचएमएस के क्षेत्रिय महामंत्री योगेंद्र मिश्रा, दिनेश शर्मा, एटक से राजदेव राम, इंटक से विजय दादर, सीटू से इंद्रदेव, बीएमएस के शिव कुमार दुबे, राजेंद्र शर्मा, अंजनी सिंह, राजेश, अग्निहोत्री, विजय यादव और राजकुमार ने बताया कि एसईसीएल बैकुंठपुर क्षेत्रांतर्गत कटकोना, पाण्ड़वपारा व चरचा,कटगोड़ी अंडरग्राउंड मांइस में करीब 5000 श्रमिकों ने कोयला उत्पादन को ठप करने सरकार तक अपनी आवाज को पहुंचाने का काम किया है।
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