मैनपाट में 10 हजार एकड़ में पिछले साल किसानों में टाऊ की खेती की। इससे करीब 90 हजार क्विंटल टाऊ का उत्पादन हुआ, लेकिन जैसे ही फसल किसानों के घर पहुंची ताे लॉकडाउन के कारण बिक नहीं सकी। अब 50 रुपए किलो बिकने वाले टाऊ को व्यापारी आधे रेट में भी लेने को तैयार नहीं हैं।
व्यापारियों का कहना है कि भले ही अब अनलॉक-2 चल रहा है, लेकिन महानगरों में इसकी सप्लाई इसलिए नहीं हो रही क्योंकि वहां लगे इसके प्रोसेसिंग यूनिट और कारखाने मजदूरों के अभाव में बंद है। दैनिक भास्कर पड़ताल में खुलासा हुआ है कि टाऊ की खेती का बढ़ते रकबा को देखते हुए और किसानों को इसका उचित मूल्य दिलाने के लिए तत्कालीन कलेक्टर किरण कौशल ने 2017 में मैनपाट में टाऊ का प्रोसेसिंग यूनिट लगाने खनिज मद से 1.45 करोड़ से अधिक की राशि स्वीकृत की थी। इसके बाद इसके क्रियान्वयन की जिम्मेदारी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर को दी गई थी। इसके बाद किरण कौशल के तबादले के बाद प्लानिंग अधर में ही रह गई।
200 रुपए किलो में बिकता है इसका आटा
महानगरों में इसका आटा दो सौ रुपए किलो तक बिकता है। इसका उपयोग भारत में धार्मिक त्योहारों में उपवास रहने वाले लोग करते हैं। इतना ही नहीं प्रोसेसिंग के बाद इसका आटा विदेशों में भी भेजा जाता है लेकिन इन दिनों आयात निर्यात कोरोना संक्रमण की वजह से बंद है।
टाऊ इंदौर भेजा, लेकिन व्यापारी तक नहीं पहुंचा
मैनपाट कृषि केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक संदीप शर्मा ने बताया कि टाऊ का बीज अल्मोड़ा से मंगाकर मैनपाट में उससे खेती कर उत्पादन देखने की प्लानिंग है। एक सप्ताह पहले इंदौर के एक व्यापारी ने टाऊ की डिमांड की थी तो उसे सैम्पल के तौर पर 32 रुपए किलो के हिसाब से भेजा गया है। लेकिन लॉकडाउन की वजह से उस तक नहीं पहुंचा है।
टाऊ के आटे में मैगनीज आयरन और प्रोटीन होता है
टाऊ के आटे में मैगनीज, आयरन, प्रोटीन और कांप्लेक्स कार्बोहाइड्रेट होता है। यह ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने में भी मददगार है, इसमें में फाइबर के अलावा मैग्नीशियम भी होता है। इस आटे में विटामिन बी कॉम्प्लेक्स अधिक मात्रा में होता है, जो लीवर के लिए फायदेमंद है। इस आटे में इस रोग के खिलाफ लड़ने वाले तत्व हैं।
तिब्बत से लाया गया था टाऊ का बीज
मैनपाट में बसे तिब्बती शरणार्थियों ने यहां का मौसम देखकर इसकी खेती शुरू की थी। इसके बाद स्थानीय लोग भी टाऊ की खेती करने लगे। अच्छा रेट मिलने के कारण इसका रकबा बढ़ गया, लेकिन अब बाजार का संकट आ गया है। किसानों के अनुसार इसकी खेती में प्रति एकड़ आठ से दस हजार की लागत आती है।
पांच हजार किसान करते हैं टाऊ की खेती
किसानों ने बताया कि 10 हजार एकड़ में पांच हजार किसान इसकी खेती करते हैं। इसमें महज दस फीसदी का उपयोग अपने खाने के लिए करते हैं और बाकी बेच देते हैं। ऐसे में पांच हजार किसानों के घर मे 90 हजार क्विंटल टाऊ जाम है। जो अगर 50 रुपए किलो में बिक जाता तो 45 करोड़ का होता, लेकिन आज की तारीख में 25 रुपए के भाव में भी स्थानीय व्यापारी नहीं ले रहे हैं।
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