पूरे जिले में मजदूर ऊंचे भवनों में बिना सुरक्षा उपकरण के जोखिम भरा काम करते हैं। निजी भवन ही नहीं सरकारी भवनों का निर्माण में भी मजदूर सुरक्षा उपकरण बिना करते हैं। निर्माण एजेंसी तथा ठेकेदार के अलावा श्रम विभाग भी मजदूरों को सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराने ध्यान नहीं दे रहा हैं।
जिले में 62 हजार 772 मजदूर हैं जिसमें से भवन निर्माण से जुड़े 34 हजार 970 संगठित तथा असंगठित कर्मकार 27 हजार 802 हैं। इतने मजदूरों में से मात्र 5301 मजदूरों को ही श्रम विभाग ने शासन की योजना के तहत सुरक्षा उपकरण प्रदान किया है। मजदूरों के सिरों में ना तो हेलमेट होते हैं ना ही शील्ड बेल्ट, जूता, दास्ताना, जैकेट आदि तो दूर की बात है। शहर के अलबेलापारा में चल रहे शासकीय इंदरू केवट कन्या कॉलेज, पीजी कॉलेज के प्रोफेसरों के सरकारी क्वार्टर के अलावा जिला पंचायत में निर्माणधीन काम में भी ऊंचाई पर मजदूर बिना सुरक्षा उपकरणों के काम करते नजर आते हैं। श्रम विभाग द्वारा बिना सुरक्षा उपकरण मजदूरों से काम कराने वाले ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई तक नहीं की जाती। इससे संबंधित एजेंसी व ठेकेदार नियमों का पालन नहीं करते। भवन निर्माण के काम में लगे मजदूर उमेश कोर्राम, श्रवण कुंजाम, रोहित नेताम, जागेश्वर मरकाम ने कहा भवन कि ऊंचाई में काम करने के दौरान हमेशा जोखिम रहता है। शासन की योजना के बारे में सुना जरूर है लेकिन सुरक्षा उपकरण अब तक नहीं मिल पाए हैं।
बिना मास्क लगाए ही काम करते हैं मजदूर
कोरोना संक्रमण के चलते सभी को मास्क लगाकर ही घर से बाहर निकलना है लेकिन भवन में काम कर रहे मजदूर बिना मास्क लगाए ही काम करते नजर आते हैं। ठेकेदार तथा निर्माण एजेंसी की जिम्मेदारी है कि नियमों का पालन कराने मास्क तथा सैनिटाइजर आदि उपलब्ध कराएं। लेकिन ठेकेदारों द्वारा इसमें भी लापरवाही बरती जाती है।
शिकायत मिलेगी तो करेंगे कार्रवाई: श्रम पदाधिकारी
श्रम पदाधिकारी बीके बिचपुरिया ने कहा कि शासन से जितने सुरक्षा उपकरण आए थे पंजीकृत मजदूरों को बांट दिए गए हैं। ठेकेदारों की भी जिम्मेदारी है कि वे अपने मजदूरों को सुरक्षा उपकरण प्रदान करें। कोई शिकायत नहीं मिली है इस कारण बिना सुरक्षा उपकरण मजदूरों से काम कराने वाले ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है। शिकायत पर कार्रवाई की जाएगी।
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