
प्रतापपुर व राजपुर रेंज में तीनों हाथियों की मौत खतरनाक कीटनाशक खाने से हुई थी। विसरा रिपोर्ट में हाथियों की मौत का कारण हैवी मैटल वाले कीटनाशक से होना बताया गया है। इससे साफ हो गया है कि खतरनाक कीटनाशक सीधे तौर पर किसी खाद्य पदार्थ में मिलाकर खिलाया गया होगा।
इस इलाके में फसल में फोरेट सबसे अधिक उपयोग में लाया जाता है। इससे आशंका है कि लोगों ने हाथियों के झुंड के आने से पहले घर के आसपास महुआ या दूसरे चीज में मिलाकर कीटनाशक रख दिया होगा। इंडियन वेटनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट ने हाथियों की विसरा रिपोर्ट सूरजपुर व बलरामपुर डीएफओ को भेज दी है। पिछले महीने तीनों हाथियों की मौत हो गई थी। मौत के कारण स्पष्ट नहीं होने पर देश के अलग-अलग लैब में विसरा जांच के लिए भेजा गया था। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार उत्तर प्रदेश के इंडियन वेटनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट से हाथियों के विसरा जांच की रिपोर्ट आ गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि हाथियों की मौत खतरनाक कीटनाशक खाने से हुई है।
डॉग स्क्वायड को भी नहीं मिली थी सफलता
प्रतापपुर रेंज के गणेशपुर और राजपुर रेंज के गोपालपुर इलाके में डॉग स्क्वॉयड को घुमाया गया था लेकिन इससे कोई सुराग नहीं मिला। घटना स्थल के आसपास ग्रामीण जुट गए थे जबकि बारिश के बाद स्मेल भी नहीं आ रही थी। गणेशपुर में जहां हाथियों की मौत हुई थी। वहां कीटनाशक के पैकेट बरामद हुए थे। इसके बाद डॉग स्क्वायड की मदद ली गई थी।
वन अफसरों के सामने: अब आरोपियों को पकड़ने की चुनौती
हाथियों की मौत का कारण सामने आने के बाद वन विभाग के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती आरोपियों तक पहुंचने की है। हालांकि जांच में अफसर आरोपियों तक पहुंच पाते हैं या नहीं इस पर संशय है। क्योंकि पिछले सालों में कई हाथियों की मौत हुई है और विभाग आरोपियों का पता नहीं लगा पाया है।
तीन दिन में: तीन हथिनी की मौत, इनमें एक गर्भवती थी
प्रतापपुर और राजपुर रेंज में जिन तीन हथिनी की मौत हुई थी उनमें एक हथिनी गर्भवती थी। बाकी दोनों भी हथिनी थी। गर्भवती हथिनी की जहर से बच्चेदानी फट गई थी। वहीं दूसरे हथिनी की लाश दूसरे दिन ही मिल गई थी। वहीं एक अन्य हथिनी की लाश बलरामपुर जिले के राजपुर इलाके में चार दिन बाद मिली थी।
हथिनी की मौत: मामले की सेंट्रल तक चल रही है जांच
हाथियों की मौत के मामले में स्टेट से लेकर सेंट्रल तक जांच चल रही है। कुछ दिनों पूर्व ही सेंट्रल और स्टेट की टीम जांच कर गई है। टीम ने हाथियों की मौत पर चिंता जताते हुए मैदानी स्तर पर समन्वय की कमी बताया था। इस मामले में पीसीसीएफ, डीएफओ हटा दिए गए हैं, जबकि एसडीओ, रेंजर, डिप्टी रेंजर फारेस्ट गार्ड को निलंबित किया गया है।
एक दशक में 46 हाथियों की हुई मौत
सरगुजा व इससे लगे सूरजपुर, बलरामपुर, कोरिया व जशपुर जिले में पिछले एक दशक में 46 हाथियों की मौत हुई है, जबकि डेढ़ सौ से अधिक लोग मारे गए हैं। मौत प्राकृतिक नहीं है। ज्यादातर हाथियों की मौत के पीछे इस समस्या से निजात के लिए उठाए गए कदम सामने आते हैं। वहीं कई ग्रामीणों की मौत उस समय की है जब दल के किसी साथी की मौत से आक्रमक हाथियों ने हमला बोला। 13 हाथियों की मौत बिजली करंट से हुई है। जबकि कुछ हाथियों की जहर से मौत हुई है। पड़ताल में यह खुलासा हुआ है कि लोग बदला लेने के लिए कहीं बिजली के तार लगा दे रहे हैं तो कहीं जहर रख दे रहे हैं। इससे हाथी मारे जा रहे हैं। कई हाथियों की मौत का कारण विभाग के लिए रहस्य बनकर ही रह गई।
स्टेट और सेंट्रल को भेज दी गई है विसरा की जांच रिपोर्ट, निर्देश का इंतजार: वाइल्ड लाइफ सीएफ एसएस कंवर ने बताया कि हाथियों की विसरा रिपोर्ट स्टेट और सेंट्रल को भेज दी गई है। वहां से जो निर्देश मिलेंगे उसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। तीनों हाथियों की मौत तीन दिन के भीतर हुई थी।
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