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राकेश,पीएचडी सहित अन्य शोधकार्य में अब चोरी आसान नहीं होगी। यदि चोरी कर रिसर्च करते हैं तो तत्काल पकड़े जाएंगे। क्योंकि रांची यूनिवर्सिटी में रिसर्च की पवित्रता बनाए रखने के लिए गंगा-गंगोत्री बहने लगी है। यानी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की शोध गंगा और शोध गंगोत्री लागू कर दी गई है।
यह दोनों यूजीसी के पोर्टल हैं। अब रांची यूनिवर्सिटी से पीएचडी करने वाले शोधार्थियों को थीसिस शोध गंगा और सिनोप्सिस शोध गंगोत्री पोर्टल पर अपलोड करनी होगी। पीजी विभागों के एचओडी की मॉनिटरिंग में ये अपलोड की जाएंगी। रांची यूनिवर्सिटी ने शनिवार को इसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया। हालांकि हमारे पड़ोसी राज्यों- बिहार, ओडिशा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश में यह पहले से ही लागू है।
शोध गंगा और गंगोत्री का उद्देश्य
प्लेगिरिज्म (साहित्यिक चोरी) रोकने और रिसर्च की गिरती क्वालिटी में सुधार का प्रयास।
रिसर्च वर्क ऑनलाइन होने से पता चलेगा कि देश में कैसे शोध हो रहे हैं। स्कॉलरों को आइडिया भी मिलेगा।
22 विभागों में पीएचडी रिसर्च वर्क होता है आरयू में
1100 इंटरव्यू प्रतिवर्ष आरयू में होते हैं पीएचडी के लिए
आरयू को इसे लागू करने में लग गए पांच साल
रांची विवि प्रशासन को इसे शुरू करने में पांच वर्ष लग गए। वर्ष 2015 में रांची विवि प्रशासन ने शोध गंगा और गंगोत्री लागू करने के लिए प्रस्ताव बनाया था, जिसपर सिंडिकेट, एकेडमिक काउंसिल और सीनेट की मुहर भी लगी थी। लेकिन अब इसे लागू किया गया।
पेन ड्राइव में देना होगा थीसिस-सिनोप्सिस
रांची विवि में थीसिस और सिनोप्सिस को यूजीसी के पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा। इसके लिए अब रिसर्च स्कॉलरों को पेन ड्राइव में थीसिस और सिनोप्सिस देना होगा। इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। डॉ. अमर कुमार चौधरी, रजिस्ट्रार आरयू
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