कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के कारण इस वर्ष अब तक स्कूलों के पट बंद हैं। बच्चे बीते चार महीने से स्कूल से दूर हैं। स्कूल से बच्चों की दूरी शिक्षा से दृूरी में ना बदल जाए इसलिए प्रदेश सरकार द्वारा पढ़ाई तुंहर दुआर योजना के तहत बच्चों को ऑनलाइन कक्षाओं से जोड़ रही है। जशपुर जिले में इसके तहत शिक्षा विभाग द्वारा बेहतर प्रयास किए जा रहे हैं, पर स्कूल के सभी बच्चों को ऑनलाइन क्लास से कवर करना विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती है।
भास्कर ने पढ़ाई तुंहर दुआर योजना को लेकर जमीनी हकीकत और विभाग द्वारा किए जा रहे प्रयासों की पड़ताल की तो पाया कि शिक्षा विभाग इस दिशा में लगातार प्रयास कर रही है, बावजूद सिर्फ 1.07 प्रतिशत छात्र ही ऑनलाइन क्लास से जुड़ पा रहे हैं। प्रदेश के बाकी जिलों की स्थिति बुरी है। जशपुर जिले में जहां 1826 स्कूल ऑनलाइन क्लास से जुड़ चुके हैं वहीं कई जिलों में अभी एक हजार स्कूल भी ऑनलाइन कक्षाओं से नहीं जुड़े हैं। ऑनलाइन कक्षाओं स प्रतिदिन औसत 1500 छात्र-छात्राएं जुड़ रहे हैं। पहली से बारहवीं तकछात्र-छात्राओं की संख्या 40 हजार से अधिक है। ऐसी स्थिति में इतनी कम संख्या में बच्चों का ऑनलाइन कक्षा से जुड़ना यह बताता है कि ऑनलाइन कक्षाएं ग्रामीण इलाकों में सफल नहीं हो पा रहीं है।
बच्चे बकरी चरा रहे या खेतों में काम
यह तस्वीर शहर के नजदीकी गांव कोंबड़ो की है। यहां के प्राइमरी स्कूल में बच्चों की ऑनलाइन कक्षा शुरू करने के प्रयास किए जा रहे हैं, पर बच्चों के अभिभावक के पास स्मार्ट फोन नहीं है। गांव के मुश्किल से 8 से 10 बच्चे ही अबतक ऑनलाइन क्लास से एक दो बार जुड़े हैं। यहां एक बच्चा इस तरह दोपहर में बकरियों को हांककर गांव पहुंचाता दिखा। बच्चे ने बताया कि स्कूल कोरोना की वजह से बंद है इसलिए वह सुबह बकरियां लेकर निकल जाता है।
क्लास अटैंड ना कर वेब सीरीज की मूवी देख रहे बच्चे
ग्राम तपकरा ग्राम पंचायत तपकरा बाधरकोना की है। बच्चे एक रिंग में बैठकर मोबाइल देखते हुए नजर आए। हमने सोचा कि संभवत: बच्चे एक मोबाइल पर ऑनलाइन क्लास अटेंड कर रहे हों, पर जब यहां जाकर देखा तो पता चला कि बच्चे मोबाइल पर पढ़ाई ना कर वेब सीरीज की मूवी देख रहे थे। बच्चे घर से क्लास अटेंड करने के नाम पर ही मोबाइल लेकर निकले थे।
पेड़ पर चढ़कर तोड़ रहे आम
तस्वीर ग्राम पैकू की है। यहां भी बच्चों को ऑनलाइन क्लास के वक्त बाहर खेलते हुए देखा गया। पेड़ पर चढ़ा यह बच्चा गांव के मिडिल स्कूल का छात्र है। छात्र ने कहा कि उसने ऑनलाइन कक्षा के बारे में अब तक कुछ नहीं सुना। घर पर मोबाइल है पर बटन वाला। वह पेड़ पर चढ़कर आम तोड़ रहा था। उसके बाकी साथी नीचे आम चुनने में व्यस्त थे।
शिक्षकों ने यह बताए कारण
1- कई अभिभावकों के पास स्मार्ट फोन ही नहीं - कुनकुरी बालक उमावि के अंग्रेजी के व्याख्याता अरविंद कुमार मिश्रा ने बताया कि ग्रामीण इलाकों में रहने वाले बच्चों के अभिभावकों के पास वर्तमान समय में भी स्मार्ट फोन नहीं है। आज भी वे बटन वाले मोबाइल से काम चला रहे हैं। ऐसे परिवार के बच्चों को स्मार्ट क्लास से जोड़ना मुश्किल हो रहा है। ग्रामीण इलाकों में कई ऐसे भी बच्चे हैं, जिनके परिवार में कोई फोन ही नहीं है।
2- नेटवर्क कनेक्टिविटी की समस्या - जिले के आदर्श उमावि के गणित के व्याख्याता खान वक्कारुज्जमां खां ने बताया कि शहर से सटे इलाकों में भी नेटवर्क कनेक्टिविटी की समस्या है। मॉडल स्कूल वाले इलाके में यह समस्या आम है, जहां नेटवर्क है और बच्चों के परिवार में स्मार्ट फोन वहां पहले मैसेज कर क्लास की जानकारी दी जा रही है, इसके बाद कॉल भी किया जा रहा है। इसके बावजूद 10 में से 2 बच्चे ही क्लास में दिख रहे हैं।
3- एक परिवार में एक मोबाइल व कई बच्चे - सबसे ज्यादा ऑनलाइन क्लास लेने वाले खरसोंता उमावि के अर्थशास्त्र के व्याख्याता रोपना उरांव ने बताया कि पहली बात तो लगभग आधे परिवारों के पास स्मार्ट फोन है ही नहीं। जहां है वहां परिवार में सिर्फ एक स्मार्ट फोन है। कई बार फोन लेकर मुखिया बाहर चले जाते हैं। यदि क्लास अटैंड करने के लिए फोन घर पर भी छोड़ दें तो जिस परिवार में दो से तीन बच्चे हैं, वे एक मोबाइल पर कैसे पढ़ाई करेंगे। मोबाइल में डाटा खत्म होने की समस्या भी सामने आ रही है।
स्कूल स्तर पर शुरू करने के प्रयास
"ऑनलाइन क्लास को स्कूल स्तर पर शुरू करने के प्रयास लगातार जारी हैं, जहां भी समस्या आ रही है। वहां उसका निदान किया जा रहा है। जिले में ऑनलाइन क्लास और क्लास अटेंड करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है।''
-एन कुजूर, डीईओ, जशपुर
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