कोरोना पॉजिटिव युवक ने इलाज के लिए भर्ती अस्पताल में ही टॉयलेट के एक्जास्ट में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। युवक जब वार्ड में नहीं दिखा तो उसकी मां ने पहले अपने स्तर पर उसे खोजा फिर भी नहीं मिला तो उसने रोते हुए अस्पताल के स्टाफ को इसकी जानकारी दी। फिर उसकी तलाश हुई तो वह फंदे पर लटका हुआ मिला। युवक जमगहन का रहने वाला था। युवक का अंतिम संस्कार कुलीपोटा में ही किया गया।
मिली जानकारी के अनुसार चंद्रपुर विधानसभा क्षेत्र के ग्राम जमगहन निवासी युवक कमाने खाने के लिए हरिद्वार गया था। लॉकडाउन में वह वहीं फंस गया। कोविड-19 के प्रभारी डॉ.अनिल जगत के अनुसार वहां से वह 2 जुलाई को पैदल निकला था। माह भर पैदल चलते, रुकते हुए वह 2 अगस्त को अपने गांव पहुंचा। वहां से उसका सैंपल लिया गया। सैंपल की रिपोर्ट 3 अगस्त को आई। इस दिन 27 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। जिसमें इस युवक को भी कोरोना की पुष्टि हुई।
डर ऐसा कि मां साथ आई तभी आया इलाज कराने
4 अगस्त को युवक को लेने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम उसके घर पहुंची तो युवक डर गया। स्वास्थ्य कर्मियों के साथ जाने से युवक मना करने लगा। वह गांव में ही कह रहा था कि उसे कोरोना से बहुत डर लगता है, वह इलाज कराने नहीं जाएगा। किसी तरह स्वास्थ्य कर्मियों ने उसे इलाज के लिए मनाया तो भी वह अकेले आने के लिए तैयार नहीं हुआ। उसने शर्त रख दी कि वह इलाज तभी कराने जाएगा जब उसकी मां भी उसके साथ जाएगी। विभागीय कर्मियों ने वरिष्ठ अधिकारियों से मार्गदर्शन लेकर उसकी मां को भी साथ लाया तब वह इलाज कराने के लिए भर्ती हुआ।
डिप्रेशन में था युवक
युवक कोरोना के नाम से ही डरा हुआ था। उसके चार बच्चे भी हैं। इलाज करा रहे अन्य मरीजों ने बताया कि वह अस्पताल में आने के बाद उदास हो गया था। वह किसी से बात भी नहीं कर रहा था। उदास रहने लगा था। शायद इसी डिप्रेशन में आकर उसने फांसी लगा ली।
दिव्यांग कोरोना अस्पताल में एक ही गेट से इंट्री-निकासी, साउंड सिस्टम भी नहीं
जिले में अभी एक मात्र दिव्यांग स्कूल में ही कोरोना पॉजिटिव मरीजों को रखा जा रहा है। वहां मरीजों को ले जाने के लिए एक ही रास्ता है। इसी रास्ते से ही मरीजों के अलावा अन्य स्टॉफ को भी अंदर जाना होता है। मरीजों को खाना भी इसी एक रास्ते से पहुंचाया जाता है। वहीं कोराेना से मुक्त होने वाले मरीजों को भी इसी रास्ते से ही निकाला जाता है। जबकि काेरोना के नॉर्म्स के अनुसार इंट्री और एक्जिट गेट अलग अलग होने चाहिए। वहीं इस अस्पताल में साउंड सिस्टम भी नहीं है। जिससे मरीजों को अपनी बात स्टॉफ तक पहुंचाने में भी दिक्कतें होती हैं।
घबराएं नहीं: जिले में 500 से अधिक पॉजिटिव 400 से अधिक रिकवर
डॉ. जगत के अनुसार लोगों को कोरोना से बचने के लिए सरकार की गाइड लाइन का पालन करना चाहिए। बहुत अधिक चिंता करने की जरूरत नहीं है। जिले में 500 से अधिक पॉजिटिव मामले अभी तक आ चुके हैं। अच्छी बात यह है कि इनमें स 400 से अधिक लोगों को कोरोना से मुक्ति मिल चुकी है, वे स्वस्थ होकर अपने घर चले गए हैं, जबकि अस्पताल के रिकॉर्ड के अनुसार जिले में अभी मात्र 54 मरीजों का ही इलाज चल रहा है। इनके अलावा लगभग 51 मरीज प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं।
जीवन अनमोल है काेरोना के कारण ऐसे न दें जान
कोरोना से बहुत अधिक घबराने की जरूरत नहीं है, इस बीमारी का भले ही अभी तक वैक्सीन नहीं आया है, लेकिन इलाज के लिए दूसरी दवाइयां है। हमारे जिले में 500 से अधिक पॉजिटिव मामले आए हैं, जिनमें से लगभग 400 से अधिक लोग स्वस्थ हो चुके हैंं। इसलिए जिले में रिकवरी रेट बहुत अच्छी है। बस इससे बचने के लिए लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा। मास्क जरूर लगाएं, समय समय पर हाथों को साबुन से धाेएं अथवा सैनिटाइजर करें। यही इससे बचने का उपाय है। जो घटना हुई वह चिंताजनक है, लेकिन लोगों को इस तरह जान नहीं देनी चाहिए। कोराेना पॉजिटिव मरीजों का मनोबल बढ़ा रहे यह प्रयास किया जाना चाहिए।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/31spBHB






No comments:
Post a Comment