भास्कर और सामजिक कार्यकर्ताओं ने जो ‘सलामती की डोर’ कोरोना वॉरियर्स तक पहुंचाई है वह आज सभी के हाथों में सजेंगी। भास्कर ने एक कोशिश की है कि सभी 1 हजार कोरोना वॉरियर्स तक ‘सलामती की डोर’ पहुंचे। एसडीआरएफ के कमांडेंट संतोष मार्बल ने भास्कर के अभियान की सराहना करते हुए कहा कि हमारे जवान रक्षाबंधन पर घर नहीं जा पाए। इतना ही नहीं, इनकी बहनें भी कोरोनाकाल में इनसे मिलने नहीं आ सकतीं, इसलिए भास्कर की ओर से आए इस तोहफे से इन्हें रक्षाबंधन नहीं मना पाने का मलाल खत्म हो जाएगा।
फायर स्टेशन पहुंचाई राखियां, बहनों ने वीडियो कॉल पर कहा- धन्यवाद भास्कर
फायर स्टेशन में होम गार्ड के कमांडेंट संतोष मार्बल और टीम को भास्कर टीम ने समाजसेवी अनिल लुंकड़ के सौजन्य से राखी और मिठाई दी। यहां एसडीआरएफ के इन जवानों ने कोरोना संक्रमण शुरू होने के बाद से अब तक एक दिन के लिए भी आराम नहीं किया है। कहीं भी कोरोना संदिग्ध के मिलने पर न केवल उसके घर बल्कि पूरे मोहल्ले को सैनिटाइज करने की जवाबदारी इसी टीम पर है। कमांडेंट संतोष मार्बल ने भास्कर के अभियान की सराहना करते हुए कहा कि हमारे जवान रक्षाबंधन पर घर नहीं जा पाए। इसलिए भास्कर की ओर से आए इस तोहफे से इन्हें रक्षाबंधन नहीं मना पाने का मलाल खत्म हो जाएगा। इस अभियान से जवान काफी उत्साहित हैं।
नक्सलगढ़ जिले के अफसर भाई-बहन, पोस्टिंग भी एक ही जगह
दंतेवाड़ा | हम इस रक्षाबंधन दंतेवाड़ा के सबसे चर्चित अफ़सर भाई-बहन की जोड़ी के बारे में आपको बता रहे हैं। जिनकी पोस्टिंग से लेकर बेहतर काम की चर्चा न केवल शहर बल्कि पूरे जिले में हैं। ये कहानी दंतेवाड़ा की डिप्टी कलेक्टर प्रीति दुर्गम व आबकारी इंस्पेक्टर हिमांशु दुर्गम की है। पहली खास बात ये है कि ये दोनों नक्सलगढ़ जिला बीजापुर के पहले अफसर बच्चे हैं। जिन्होंने चुनौतियों के बीच साल 2016 की पीएससी की परीक्षा पास कर एक साथ अफसर बने हैं। जबकि दूसरी खासियत ये है कि दोनों के नौकरी की शुरुआत भी एक ही जिला नक्सलगढ़ दंतेवाड़ा से हुई है। ज़िले में 2018 से पदस्थ होकर सेवा दे रहे हैं। ये दोनों खुद को खुशकिस्मत मानते हैं कि पहली शुरुआत दोनों की एक जगह से हो हुई है। क्योंकि पढ़ाई में कक्षाएं आगे पीछे जरूर रही हों, लेकिन शुरुआती पढ़ाई से लेकर कोचिंग और अफसर बनने तक साथ रहा।
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