महात्मा गांधी उद्यानिकी व फारेस्ट्री यूनिवर्सिटी 55 करोड़ में बनेगी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल गांधी जयंती पर दो अक्टूबर को इसकी आधारशिला पाटन के नजदीक सांकरा में रखेंगे। माना जा रहा है इस विवि से उद्यानिकी व फारेस्ट्री के क्षेत्र में बड़े काम होंगे। सीएम वीसी से इन कामों को प्रारंभ करेंगे। महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय का महत्व इसलिए है कि उद्यानिकी भी कृषि की तरह तेजी से बढ़ रहा विज्ञान है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह उचित समय है कि इस विधा के अध्ययन, अनुसंधान एवं विस्तार के लिए पृथक विश्वविद्यालय बने। जहां कृषि की औसत वृद्धि दर 3-4 प्रतिशत है, वहीं उद्यानिकी की दर 10-11 प्रतिशत रही है। अतः इस तरह के शिक्षण संस्थान की आवश्यकता अपरिहार्य है। जहां तक वानिकी का प्रश्न है, छत्तीसगढ़ का 42 फीसदी भूभाग वन आच्छादित है। वहां बसी एक बड़ी आबादी वनोपज आधारित अर्थव्यवस्था पर निर्भर है। इनके जीवनयापन व शैली में सुधार के लिए भी वानिकी के उचित दोहन की प्रक्रिया पर अध्ययन जरूरी है।
एक नजर में (आईसीएआर मापदंडों के अनुसार)
डिग्री - बीएससी (आनर्स) फॉरेस्ट्री, एमएससी एंड पीएचडी (फॉरेस्ट्री), पांच विभागों में विशेषताओं के साथ
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