राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत जिले में काम करने वाले 455 संविदा कर्मचारियों और अधिकारी नियमितीकरण व अन्य मांगों को लेकर 19 सितंबर से हड़ताल पर रहेंगे। कर्मचारियों कहना है कि सरकार ने उनके नियमितिकरण का वादा पूरा नहीं किया।
इसके चलते विरोध स्वरूप हाथ पर काली पट्टी बांधकर विरोध शुरू किया गया था। 13 सितंबर तक मांग पर विचार करने का समय भी दिया गया था। इस बीच भी सुनवाई नहीं होने पर राज्यभर के कर्मियों ने एक साथ हड़ताल पर जाने का फैसला लिया है। एनएचएम संघ के जिलाध्यक्ष शत्रुधन बघेल ने बताया कि एनएचएम संघ ने कई दफा शासन को मांग पूर्ण किए जाने के संबंध में ज्ञापन दे चुका है। लेकिन अब तक शासन से किसी भी प्रकार सकारात्मक जवाब नहीं मिला। इससे सभी संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों में घोर निराशा एवं आक्रोश व्याप्त है। इसके चलते प्रदेश संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के आव्हान पर स्वास्थ्य विभाग जिले के 455 संविदा अधिकारी एवं कर्मचारियों 9 सितंबर से नियमितिकरण आंदोलन का शंखनाद किया है, जिसमें जिले के सभी एनएचएम कार्यकर्ता काम के दौरान हाथ पर काली पट्टी बांधकर सरकार के खिलाफ विरोध कर रहे थे। उनकी मांगों पर विचार करने लिए 5 दिन का समय दिया गया। इसके बाद सरकार की ओर से कोई निर्देश नहीं जारी हुआ। इसके चलते 19 सितंबर से राज्यभर में अनिश्चित कालीन हड़ताल पर बैठ जाएंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि लगातार उनकी मांगों की अनदेखी की जा रही है। इसे लेकर लगातार शासन का ध्यान आकर्षित किया गया है, गंभीरता नहीं दिखाई गई है।
जिले की स्वास्थ्य सेवा पर पड़ेगा असर
शनिवार से एनएचएम के 455 संविदा कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से जिले के स्वास्थ्य सेवा पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ेगा। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के अधिकांश अस्पतालों में एनएचएम के संविदा कर्मचारी ही कार्यरत हैं। ऐसे में कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने के बाद जिले की स्वास्थ्य सेवा चरमरा जाएगी। ग्रामीण क्षेत्रों के साथ ही साथ इसका असर जिला मुख्यालय में भी पड़ेगा। एक साथ 455 कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से कई क्षेत्रों के स्वास्थ्य केंद्रों में तालाबंदी की नौबत आ जाएगी।
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