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Sunday, September 13, 2020

डंडई प्रखंड का चकरी डोरी गांव, 50 घरों की आबादी तक नहीं पहुंची है सड़क, पगडंडी ही सहारा

सरकार ने गांव के ऊपर विभिन्न योजनाओं के माध्यम से करोड़ों रुपए की खर्च कर रही है। फिर भी डंडई प्रखंड के चकरी डोरी गांव पर विकास की किरण नहीं पहुंच सकी ।जंगल और पहाड़ी के बीच बसा हुआ यह गांव आज भी विकास का बाट जोह रहा । चकरी गांव के लगभग 50 घर की आबादी मूलभूत सुविधाओं से काफी दूर है। पहाड़ की गोद में बसा हुआ इस गांव के लोग देश आजादी के आज तक पेयजल, सड़क ,शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधा से वंचित है। आजादी के 73 साल बाद भी इस गांव में विकास की किरण नहीं पहुंची । चकरी गांव के दक्षिण दिशा में निवास करने वाले आदिम जनजाति के लोगों को आवागमन हेतु सड़क के नाम पर पगडंडी ही नसीब है।

आदिम जनजाति बस्तियों से मुख्य सड़क तक आवागमन के लिए कोई भी सड़क नहीं है। लोग नदी नाला पार कर पगडंडी के रास्ते मुख्य सड़क पर पहुंचते हैं। वहीं पेयजल के लिए इस गांव के लोग नदी और कुआं का सहारा लेते हैं ।गांव में सरकारी चापाकल ,जल मीनार सहित अन्य पेयजल की सरकारी व्यवस्थाएं नदारद दिखाई दिया। लोग झोपड़ीनुमा छोटे-छोटे प्लास्टिक युक्त खपरैल घरों में निवास करने को मजबूर हैं।साथ ही बच्चों की शिक्षा दीक्षा के लिए चकरी गांव में एक भी विद्यालय अवस्थित नहीं है। जिसका नतीजा है कि गांव में कोई भी व्यक्ति पढ़े-लिखे नहीं है और आज के नौनिहाल बच्चे भी शिक्षा से काफी दूर है।

इस गांव के दक्षिण भाग को अवलोकन करने पर दो दशक पूर्व बना हुआ सिर्फ बिरसा आवास और बिजली का पोल- तार विकास के नाम पर देखा जा सकता है। वह भी पूरी तरह से ध्वस्त के कगार पर दिखाई देगा। इस गांव में प्रधानमंत्री आवास के नाम पर एक भी आवाज नहीं बना है ।वही 50 घरों में से लगभग 25 घरों को ही राशन और पेंशन मिलता है। लिहाजा यह हैै कि यहांं के आदिम जनजाति ग्रामीण पेयजल, सड़क ,शिक्षा ,स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं के मोहताज हैं। गांव के ग्रामीणोंं द्वारा पंचायत व शासन प्रशासनिक अधिकारियों को गांव के मूलभूत सुविधाओं को दुरुस्त कराने की मांग की जा चुकी है। लेकिन जिम्मेवार लोग सुधि लेना नहीं चाह रहे हैं।

बुजुर्गों को राशन लेने में परेशानियां होती है। बच्चों को शिक्षा से दूर रखा जा रहा है। स्वास्थ्य की कोई सुविधा नहीं है। लोगों को आने-जाने के लिए सड़क मार्ग नहीं है ।पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है । जिससे आज भी चकरी गांव के 400 आबादी मूलभूत कठिनाइयों का दंश झेल रहा है।

स्कूल दूसरे गांव में है, रास्ते में झाड़ी और जंगल है, बच्चे जाना नहीं चाहते

ग्रामीण मोती कोरवा ने बताया कि कई दशक पहले मिशन सोसाइटी की ओर से गांव के किसानों को सिंचाई हेतू देवघट डैम ,तिसियाही बांध, तालाब , कुंआ सहित समतलीकरण का कार्य करवाया गया था। जो आज देखा जा सकता है ।सरकार की घोर उदासीनता के कारण इस गांव के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है।उन्होंने बताया कि गिरवर पांडेय के जमाने में कुछ ही लोगों को बिरसा आवास बना था। उसके बाद से हम लोगों को कोई भी सरकारी आवास मुहैया नहीं कराई गई। जिससे मजबूरन हम लोगों को प्लास्टिक युक्त खपरैल घर में रहना पड़ रहा है।वही मोती कोरवा ने बताया कि इस गांव के सभी लोग अनपढ़ हैं।

बच्चे भी शिक्षा से काफी दूर है ।बताया कि वर्ष 2002 ईस्वी में चकरी गांव के नाम पर स्कूल खुलना था परंतु उसे लोरा गांव में बनवा दिया गया। जिससे आजादी से आज तक लोग शिक्षा से काफी अलग हैं।बताया कि लोरा में अवस्थित स्कूल में जाने में काफी झाड़ी व जंगल पड़ता है, वही नदी नाला से होकर गुजरना पड़ता है। इसलिए बच्चे स्कूल ही नहीं जाने के लिए तैयार होते हैं।ग्रामीण गोरख कोरवा, रामचंद्र कोरवा, सुकन कोरवा, संतोष कोरवा सहित अन्य ने बताया कि बस्ती से मेन सड़क तक जाने के लिए कोई भी कच्ची -पक्की सड़क नहीं है।

हम लोग नदी नाला पार कर किसी तरह से पगडंडी के सहारे ही मुख्य सड़क तक जाते हैं ग्रामीण महिला ललिता देवी, विद्यांचली देवी, सुबचनी देवी, फूलमती देवी ने बताया कि जब से हमारी शादी हुई है तब से हम लोग नदी और कुआं का पानी पी रहे हैं। गांव में एक भी जल मीनार और ना ही कोई चापाकल है। मजबूरन हम लोग कुआं का ही पानी सेवन करते आ रहे हैं।

महिलाएं बोलीं - आज तक वृद्धापेंशन भी नहीं मिला

ग्रामीण फुलवंती देवी, फुलपतिया देवी, सीलोचन कोरवा, कलावती देवी सहित अन्य ने बताया कि हमारी उम्र 60 वर्ष से ऊपर ढल चुकी है फिर भी हम लोगों को वृद्धा पेंशन और ना ही अन्य प्रकार के पेंशन मिलता है जिससे घर परिवार को चलाने में भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। बताया कि गांव के अधिकतर बुजुर्गों को वृद्धा पेंशन नहीं मिलता है। डंडई प्रखंड मुख्यालय से चकरी डोरी गांव लगभग 15 किलोमीटर पूर्व दिशा की ओर अवस्थित है।



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Chakri Dori village of Dandai block, population of 50 houses has not reached the road, footpath is the only support


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