ग्रामीणों को इलाज मुहैया कराने के लिए गांवों में बनाए गए स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तथा वेलनेस सेंटर में से अधिकतर में या तो ताला लटका रहता है। जो खुले भी रहते हैं उनमें न तो कोई डॉक्टर रहता है और न ही नर्स। कई सेंटरों में जरूरी आवश्यक दवाएं तक नहीं है। ऐसें में लोगों को प्राथमिक उपचार से लेकर गंभीर बीमारी के इलाज तक के लिए कई किमी का लंबा सफर तय कर जिला या सिम्स आना मजबूरी है।
सिरगिट्टी - पीएचसी ऐसी हो तो अस्पताल में मरीज कम हो जाएं
पीएससी सिरगिट्टी में स्टाफ नर्स से लेकर विशेषज्ञ डॉक्टर तक की सुविधाएं मौजूद हैं। सुबह 10 से शाम 5 बजे तक तक ओपीडी में करीब 60 से 70 मरीज दवा लेने पहुंचते हैं गर्भवती महिलाओं के लिए प्रसव की व्यवस्था 24 घंटे उपलब्ध है।
मटियारी - प्रसव की सुविधा है लेकिन पानी की नहीं
दस साल पहले बने मटियारी वेलनेस सेंटर में प्रसव कराने की सुविधा है लेकिन यहां पर पानी की सुविधा नहीं है। इससे प्रसव के दौरान 500 मीटर दूर से पानी लाना पड़ता है। पानी की समस्या दूर हो जाए तो सेंटर और बेहतर हो सकता है।
सेमरताल - सेमरताल में स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर एक उप स्वास्थ्य केंद्र है यहां पर न तो कोई डॉक्टर हैं और ना ही कोई विशेषज्ञ। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता एवं मितानिन के भरोसे चल रहा है। पिछले एक दशक से ग्रामीण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को स्वास्थ्य केंद्र में बदलने की मांग कर रहे हैं लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं की जा रही। यहां सामान्य तौर पर महिलाओं का प्रसव तो करा लिया जाता है लेकिन स्थिति बिगड़ने पर तुरंत महतारी एक्सप्रेस को बुला लिया जाता है जो कि महिला को हाई सेंटर में लेकर चली जाती हैं ।
बसहा - उप स्वास्थ्य केंद्र दो साल से बंद
सीपत इलाके के ग्राम पंचायत बसहा में उप स्वास्थ्य केंद्र है, पर 2 साल से ये नहीं खुला है। सरपंच पति बृजेश बताते हैं कि भवन के सामने पानी भर जाता है, कीचड़ फैलता है इसलिए नाला और पुल बनवा रहे हैं।
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