बस्तर दशहरा में भीतर रैनी विधान के तहत सोमवार को आठ पहियों वाला विजय रथ खींचा गया। रथ बनाने में विलंब के कारण इस बार देर रात रथ की परिक्रमा शुरू हुई। यह रथ सिरहासार के सामने से निकलकर मावली मंदिर और गोल बाजार की परिक्रमा कर रात को दंतेश्वरी मंदिर के निकट सिंहड्योढ़ी पहुंचा। वहां से इसे बास्तानार के कोड़ेनार-किलेपाल क्षेत्र से आए 17 गांव के 3 सौ से ज्यादा ग्रामीण खींचकर शहर से करीब तीन किलोमीटर दूर कुम्हड़ाकोट जंगल ले गए। इस परंपरा को रथ चुराना भी कहते हैं।
बस्तर दशहरा के तहत सदियों पुरानी इस परंपरा को देखने लोग रथ परिक्रमा मार्ग पर किनारे डटे रहे। प्रशासन द्वारा शाम 5 बजे के बाद आम जनता के निकलने पर प्रतिबंध लगाने के कारण इस बार गिने चुने लोग ही रथ देखने पहुंचे। बस्तर दशहरा पर्व में अश्विन शुक्ल द्वितीया से सप्तमी तक चार पहिए वाले फूल रथ का संचालन होता है। इसके बाद विजयादशमी के दिन 8 चक्के वाले विजय रथ को परिक्रमा के बाद चुरा कर ले जाने की परंपरा है। बस्तर दशहरा में इस विधान को भीतर रैनी कहा जाता है। रथ को सजाने के बाद मां दंतेश्वरी का छत्र मावली मंदिर पहुंचा। देवी की आराधना पश्चात माई के छत्र को
रथारूढ़ कराया गया।
इस मौके पर जिला पुलिस बल के जवानों ने हर्ष फायर कर मां दंतेश्वरी को सलामी दी। भीतर रैनी रथ संचलन को देखने लोगों की भीड़ दंतेश्वरी मंदिर के आसपास जुटी थी। रथ के आगे दंतेवाड़ा से आई मावली माता चल रही थीं, जिन्हें साज सज्जा के साथ खुली जिप्सी में विराजित किया गया था। सोमवार रात चुराकर ले गए रथ को मंगलवार शाम ग्रामीणों द्वारा खींचकर वापस दंतेश्वरी मंदिर के सामने लाया जाएगा।
बस्तर दशहरा में शामिल हुए 300 देव विग्रह
बस्तर दशहरा में इस साल कोरोना संक्रमण का असर लगभग सभी पूजा विधान के दौरान देखने को मिला। पूर्व में जहां दशहरा में शामिल होने बस्तर संभाग समेत धमतरी जिले के सिहावा से करीब 500 से अधिक ग्रामीण देवी-देवता शामिल होते थे। वहीं इस साल 300 देवी-देवता पहुंच सके। रथ चोरी कर ले जाने के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों से आए देवी-देवता रथ के आगे चलते रहे। सुरक्षा व्यवस्था को लेकर जगह-जगह पुलिस बल तैनात किया गया था।
आज बाहर रैनी विधान: बस्तर दशहरा के तहत विजय रथ खींचने के दूसरे विधान को बाहर रैनी कहा जाता है। सोमवार रात चुराकर ले गए रथ को मंगलवार शाम ग्रामीणों द्वारा खींचकर वापस दंतेश्वरी मंदिर के सामने लाया जाएगा। इससे पहले एकादशी को राजपरिवार के सदस्य नयाखानी अनुष्ठान पूरा कर क्षेत्र की शांति व समृद्धि की कामना करेंगे। इसके बाद विजय रथ की वापसी होती है। इस दौरान विजय रथ के सामने दंतेवाड़ा माई की डोली, छत्र एक खुले वाहन में तथा शेष देवी-देवताओं की डोली, छत्र, पैदल आते हैं।
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