छत्तीसगढ़ी फिल्म माेर छंइहा भुइयां... और एक्टर पद्मश्री अनुज शर्मा के फिल्मी सफर के आज 20 साल पूरे हाे गए। 27 अक्टूबर 2000 को ये फिल्म बाबूलाल टॉकीज में रिलीज हुई थी। राज्य गठन के ठीक पांच दिन पहले रिलीज हुई इस फिल्म की जबरदस्त सफलता के बाद छत्तीसगढ़ी फिल्म जगत को छॉलीवुड के नाम से पहचाना जाने लगा। फिल्म के निर्माता-निर्देशक और लेखक सतीश जैन ने बताया कि जब जनवरी 2000 में ये फिल्म बनाने का फैसला किया तो ज्यादातर लोगों ने मूवी न बनाने की सलाह दी। सबका यही कहना था कि मूवी चलेगी नहीं, बहुत नुकसान में आ जाओगे। लेकिन, मैंने अपने मन की सुनी और सही भी रहा। पिछले 20 सालों में 200 छत्तीसगढ़ी फिल्में बन चुकी हैं, लेकिन आज तक किसी को उतने दर्शक नहीं मिल सके हैं, जितने मोर छंइहा भुइयां... को मिले थे। इस फिल्म को बनाने के लिए मुझे रिश्तेदारों से कर्ज तक लेना पड़ा था। अपना खेत और मां के गहने तक गिरवी रखने पड़े थे। उस जमाने में लगभग 22 लाख रुपए की लागत से बनी ये फिल्म सिल्वर जुबली रही। फिल्म ने पौने दो करोड़ की कमाई की।
सतीश बाॅलीवुड छाेड़कर आए और खड़ा कर दिया छाॅलीवुड
परदेशी बाबू, दुलारा, पनाह जैसी फिल्माें की कहानी लिखने वाले सतीश जैन बाॅलीवुड में लेखन की फील्ड में अच्छा काम कर रहे थे। उन्हीं की लिखी फिल्म हद कर दी आपने... की शूटिंग स्विट्जरलैंड में चल रही थी। सतीश ने देखा कि शूटिंग के दौरान उनकी कहानियों में काफी बदलाव किए जा रहे हैं, जिससे कहानी कमजाेर हाे रही है। इससे आहत हाेकर उन्हाेंने तय किया कि अब छत्तीसगढ़ी फिल्म बनाएंगे। 2000 में उन्हाेंने माेर छंइहा भुइयां... बनाई और इसकी जबरदस्त सफलता के साथ खड़ा कर दिया छाॅलीवुड।
अनुज का फिल्मी सफर
- अनुज की 4 मूवी सिल्वर जुबली और 10 फिल्में 50 दिनों तक थिएटर में चली हैं। उनकी फिल्माें में सिंगर सोनू निगम, उदित नारायण आवाज दे चुके हैं।
- 2010 में अनुज की 8 फिल्में रिलीज हुईं। छॉलीवुड में एक साल में बतौर लीड एक्टर किसी अन्य कलाकार की इतनी फिल्में नहीं आई।
- 31 मार्च 2014 को राष्ट्रपति के हाथों पद्मश्री मिला। राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर अब तक 100 से ज्यादा सम्मान मिल चुके हैं।
- अनुज ने स्थानीय कलाकाराें के साथ फोक बैंड आरूग बनाया है। ये बैंड कई शहरों के अलावा विदेशों में भी प्रस्तुति दे चुका है।
सेल्समैन से एक्टर बनने तक की जर्नी
मैं एयरफोर्स में जाना चाहता था। एयरविंग का सी सर्टिफिकेट भी था। कभी नहीं सोचा था एक्टर बनूंगा। 1994 में एक अखबार में दो महीने सर्वेयर रहा। फिर इलेक्ट्रॉनिक कंपनी में सेल्स पर्सन बन गया। जिंदगी ठीक चल रही थी। एक दिन फूल चौक के पास दोस्त मितेश शाह से अचानक मुलाकात हुई। उन्होंने बताया कि सतीश जैन छत्तीसगढ़ी मूवी बना रहे हैं। हीरो तलाश रहे हैं। तुम दिखने में भी स्मार्ट हो, स्कूल-कॉलेज में गाना-बजाना भी करते थे। ट्राय करो, शायद तुमको रोल मिल जाए। पहली मुलाकात में ही सतीश जैन ने बिना किसी ऑडिशन के हीरो बना दिया। फिल्म रिलीज होने के बाद रातों-रात स्टार बन गया। कई फिल्मों के ऑफर आने लगे। इसी बीच 2001 में एयरफोर्स से इंटरव्यू का कॉल आया। फौज में जाने का इतना जुनून था कि मैं सबकुछ छोड़कर इंटरव्यू देने चला गया। बहुत खुश था कि सपना सच होने जा रहा है। शरीर पर वर्दी होगी। इंटरव्यू के दौरान मुझसे डिग्री मांगी गई। मैं मार्कशीट तो लेकर गया था, डिग्री नहीं। इस चूक ने एयरफोर्स में शामिल होने का सपना तोड़ दिया। इसके बाद मैंने तय कर लिया कि अब सिर्फ और सिर्फ छत्तीसगढ़ी फिल्में करूंगा। फिल्में मिलती गईं, हिट होती गईं। मोर छंइहा भुइयां के बाद मया देदे मया लेले, झन भूलो मां बाप ला और मया.. जैसी फिल्में भी सिल्वर जुबली रहीं। सफर जारी है।
- अनुज शर्मा, एक्टर
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