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Sunday, October 25, 2020

मावली मां की डोली पहुंची तो कोरोनाकाल में भी उमड़ी भीड़, सवा सौ देवी-देवता समेत राजपरिवार ने परघाया

बस्तर दशहरे के विधानों में से एक मावली परघाव की रस्म रविवार को विधि-विधान से पूरी की गई। कोरोना को देखते हुए जिला प्रशासन ने इस बार पूजा विधानों से जुड़े लोगों को ही शामिल होने की अनुमति दी थी। आम जनता को सोशल मीडिया से लाइव दर्शन की सलाह दी गई थी। दंतेवाड़ा से माईजी के छत्र व डोली शनिवार की रात को ही यहां पहुंच गई थी।
रविवार की शाम आकर्षक आतिशबाजी व जयकारे के बीच जिया डेरा से लेकर कुटरू बाड़ा तक लाया गया। जहां राजगुरु राजपरिवार, दशहरा समिति के सदस्यों व जनप्रतिनिधियों ने विधि-विधान से देवी को परघाया।

9 दिन के बाद उठे जोगी, कन्या पूजन भी हुआ
निर्विघ्न दशहरा संपन्न होने की कामना लेकर नवरात्र के पहले दिन से सिरहासार भवन में जोगी के रूप में बैठे बड़े आमाबाल के भगत को विधि-विधान के साथ उठाया गया। इस रस्म में ही गिनती के लोग शामिल हुए। 9 दिनों तक साधना में लीन रहे जोगी ने इस रस्म को पूरा करने के बाद कंकालिन, राममंदिर और मावली मंदिर में जाकर पूजा अर्चना की। इस दौरान उसने मावली मंदिर के तलवार को फिर से मंदिर में स्थापित किया। वहां से लौटकर कुलदेवी की आराधना की और पर्व के निर्विघ्न संपन होने के लिए उनका आभार जताया और उपवास तोड़ा। इसके अलावा दंतेश्वरी मंदिर में पुजारी ने नौ कुंवारी कन्याओं का पूजन किया। ये सारे विधान सोशल डिस्टेंसिंग के बीच पूरे किए गए।

आज होगा भीतर रैनी विधान, चलेगा 8 पहियों वाला दो मंजिला रथ: मालवी परघाव पूजा विधान के साथ ही सोमवार को भीतर रैनी पूजा विधान होगा। माई दंतेश्वरी के मंदिर में परंपरानुसार पूजा विधान होने के बाद शाम को 8 पहियों वाली दोमंजिला रथ जिसे भीतर रैनी रथ कहा जाता है, की परिक्रमा माई दंतेश्वरी के छत्र आरूढ़ कर की जाएगी।



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Mawali Maa's doli reached, crowds thronged in the coronary period, the royal family including 125 hundred gods and goddess shouted


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