Breaking

Friday, November 20, 2020

121 सरेंडर नक्सलियों सहित 227 युवा बने नवआरक्षक, शपथ भी ली

ये कभी लोगों की जान लेते थे जो उनके हुक्म को नहीं मानता था उसके घर जला दिया करते थे पुलिस तो इनकी जानी दुश्मन थी, लेकिन अब कभी पुलिस के दुश्मन रहे लोग ही पुलिस की वर्दी पहनकर देश सेवा और लोगों की जानमाल बचाने की शपथ ले रहे हैं। यह नजारा शुक्रवार को नवआरक्षक बुनयादी प्रशिक्षण के दीक्षांत समारोह में देखने को मिला।
यहां 227 नव आरक्षकों का दीक्षांत आयोजित किया गया था। इस दीक्षांत की खास बात यह थी कि सभी 227 नव आरक्षक बस्तर के अंदरूनी गांवों से बाहर निकलकर पुलिस की नौकरी करने आए हुए थे और 11 माह के कड़े प्रशिक्षण के बाद सभी आरक्षक बन गए हैं। इस दीक्षांत की एक और खास बात यह है कि जो 227 नव आरक्षक बने हैं उनमें से 121 नवआरक्षक ऐसे थे जो पहले नक्सली रह चुके थे या नक्सलियों के लिए काम करते थे। इन्होंने सरेंडर किया और जब इन्हीं पुलिस की सच्चाई पता चली तो सभी ने पुलिस फोर्स ज्वाइन करने की इच्छा प्रकट की। इसके बाद सभी को 11 महीनों तक कड़ा प्रशिक्षण और अनुशासन सिखाया गया। अब ये सभी 121 नव आरक्षक देशभक्ति के नए जोश से प्रेरित हैं और इन्होंने नक्सलवाद के खात्मे के साथ इलाके में शांति स्थापित करने की शपथ ली।

117 युवा अनपढ़ थे इन्हें आरक्षक बनाने के साथ-साथ साक्षर भी बनाया
नवआरक्षक बुनयादी प्रशिक्षण केंद्र से 227 आरक्षक बनने वालों में 117 ऐसे थे जो पढ़ना-लिखना भी नहीं जानते थे। इन्हें आरक्षक बनने की ट्रेनिंग के साथ-साथ अफसरों ने अक्षर ज्ञान भी दिया। अफसरों ने बताया कि 117 युवा ऐसे थे जिन्हें हम अनपढ़ कह सकते हैं लेकिन इन युवाओं ने 11 महीने तक लगन से ट्रेनिंग की। युवाओं का आत्मविश्वास ही था कि वे पुलिस की ट्रेनिंग के साथ-साथ खुद को साक्षर बनाने की ट्रेनिंग भी ले रहे थे। 11 महीने में ये न सिर्फ साक्षर हो गये बल्कि शस्त्र चलाना भी सीख गये। बस्तर आईजी सुंदर राज पी ने बताया कि 11 माह की मेहनत से 227 युवा नव आरक्षक बने हैं। इन 227 नव आरक्षकों में बस्तर के सातों जिले के युवा शामिल हैं। इनमें ऐसे कई युवा हैं जो सरेंडर करने के बाद आरक्षक बने हैं। समर्पण करने वाले युवा काफी अनुभवी हैं। अपने अनुभव से ये नक्सल क्षेत्र में बेहतर काम करेंगे और इसका फायदा भी बस्तर पुलिस को मिलेगा।

नक्सलवाद की पूरी विचारधारा खोखली
दीक्षांत समारोह के बाद आत्मसमर्पित नक्सली से आरक्षक बने जोगा ने बताया कि वह नक्सली संगठन में 2004 से जुड़ा था। इस बीच उसे धीरे-धीरे समझ आने लगा कि नक्सलवाद की पूरी विचारधारा खोखली है और इससे स्थानीय आदिवासियों का कोई भला नहीं होने वाला है। जोगा ने 2016 में सरेंडर किया। इसके बाद उसे दूसरा पक्ष भी समझने को मिला। अब जोगा पुलिस बनकर इलाके की सेवा करने जा रहा है। जोगा कहता है कि पुलिस की नौकरी में देशभक्ति तो है ही इससे इलाके का विकास और लोगों को काफी मदद मिलेगी। नौकरी में इज्जत भी है उसने बस्तर के भटके हुए युवाओं से सही रास्ते में आने की अपील भी की।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
227 young constables, including 121 surrender naxalites, sworn in


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/36U3UmC

No comments:

Post a Comment

Post Top Ad

Pages