प्रदेश का नया बजट बन रहा है। 23 नवंबर से 4 दिसंबर तक इसे आकार देने के लिए विभागों के अध्यक्षों के साथ विचार-विमर्श होगा। विभागों के नए प्रस्ताव जोड़े जाएंगे। माना जा रहा है कि इस बार बजट का साइज पहले से कम होगा। इसके लिए सरकार ने पहले ही 10 फीसदी कम करने का फैसला किया है। इसकी वजह कि कोरोनाकाल में राज्य में आर्थिक हालात पर असर पड़ा है। विभागों से जरूरी व नए प्रपोजल ही देने को कहा गया है। वे भी जो राज्य की कांग्रेस सरकार के चुनावी एजेंडे में शामिल रहे हैं। इन्हें पूरा करना सरकार की प्राथमिकता में है।
वित्त विभाग ने विभागों से बातचीत के लिए समय तय कर दिया है। इससे पहले सीएम भूपेश बघेल भी बजट को लेकर बैठक कर चुके हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पिछले हफ्ते वित्त विभाग के अफसरों से राज्य की माली हालात की रिपोर्ट ली। इसके बाद उन्होंने नए वित्तीय वर्ष 2021 के लिए बनाए जा रहे बजट की समीक्षा भी की। उन्होंने राजस्व कलेक्शन बढ़ाने के क्या उपाय हो सकते हैं इस पर अधिकारियों से बातचीत की। सीएम ने प्रदेश में आय के संसाधन बढ़ाने के उपाय करने को कहा। नए बजट को दिसंबर तक अंतिम रूप दिया जाएगा। मालूम हो कि सरकार ने पहले ही अपने खर्चों में तीस फीसदी तक कटौती कर दी है। सरकार चुनावी घोषणा पत्र में किए वादों को पूरा करने में लगी है।
इधर, बजट बनाने में इस बार सरकार को अपनी आर्थिक स्थिति के साथ-साथ केंद्रीय नीति के निर्देशों का भी पालन करना होगा, ताकि केंद्र सरकार से मिलने वाले फंड को लेकर ज्यादा बोझ न पड़े। वजह कोरोना का असर केंद्रीय फंड पर भी पड़ा है। इस वजह से लक्ष्य पूरा करने दिशा निर्देश भेजे गए हैं। बताते हैं कि आर्थिक मंदी से गुजर रहे देशों व राज्यों को लेकर यूनाइटेड नेशंस ने भी परिस्थितियों को संभालने के लिए नीतियां बनाई है। इसे भी राज्यों को भेजा गया कि कि वे किस तरह आर्थिक स्थितियों से निपट सकते हैं। बताते हैं कि इसका छत्तीसगढ़ पर कोई खास प्रभाव नहीं है। सभी विभागों को यह स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वे सिर्फ उन्हीं योजनाओं का प्रस्ताव बनाकर भेजें जो बेहद जरूरी हैं। ज्यादा खर्च वाली योजनाओं के लिए मुख्यमंत्री के स्तर पर होने वाली बैठकों में अनुमति लेनी होगी। सीएम की हरी झंडी के बाद ही ऐसी योजनाओं को शामिल किया जाएगा।
सही जगह निवेश करने बदलेंगे नियम
इधर, अभी सरकार के लगभग सभी निगम, मंडलों, बोर्ड व प्राधिकरणों इत्यादि ने बैंकों में खाता व एफ डी में पैसे रखे हुए हैं। सरकार की जानकारी के मुताबिक यह राशि कुछ अपनी, अधिकतर शासकीय योजनाओं की बजट के माध्यम से दी गई है। केन्द्र सरकार से प्राप्त अनुदान या योजनाओं की राशि आदि है, जो आज की स्थिति में लगभग 10 से 11 हजार करोड़ रुपए है। कई संस्थाओं ने इसमें से कुछ राशि प्राइवेट व सहकारी बैंकों या माइक्रो फाइनेंस कंपनियों में भी निवेश कर रखी है। इस सबको ध्यान में रखते हुए सरकार ने इसे नए सिरे से नियम निर्धारित करने कहा है। ताकि इस निर्देश के बाद सभी संस्थाओं द्वारा बैंकों में जमा राशि की जानकारी नियमित रूप से शासन को मिलती रहे। पैसा भी सही जगह निवेशित रहे।
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