
चिरमिरी-नागपुर हॉल्ट न्यू रेलवे लाइन-विस्तारीकरण की बहुप्रतीक्षित परियोजना का कार्यारंभ करने के लिए सरगुजा और शहडोल संभाग के लोगों सहित कोयलांचलवासियों की जनभावनाओं को लेकर रेलवे डिवीजन बिलासपुर के पूर्व डीआरयूसीसी सदस्य विजय प्रकाश पटेल द्वारा 25 अगस्त से लगातार प्रतिदिन जारी घण्टानाद-सत्याग्रह को आज 100 दिन पूरे हो गए, लेकिन मुख्यमंत्री ने सहमत होते हुए भी अब तक ना तो फंड रिलीज किया है और न ही कार्यारंभ करने कोई आदेश ही जारी किया है। उल्लेखनीय है कि चिरमिरी-नागपुर हॉल्ट न्यू रेल लाइन-विस्तारीकरण परियोजना के लिए छत्तीसगढ़ शासन व केंद्र सरकार ने परस्पर ओएमयू के बाद साझा वित्तीय मंजूरी प्रदान कर केंद्रीय रेलमंत्री पीयूष गोयल और तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह द्वारा हरदीबाजार (कोरबा) और रेलवे परिसर चिरमिरी के सार्वजनिक समारोह में वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा विगत 24 सितंबर 2018 को न केवल उक्त परियोजना का शुभारंभ कर चुके हैं, बल्कि नवंबर 2019 के प्रथम सप्ताह में केंद्र सरकार ने इस परियोजना के लिए अपने हिस्से का फंड भी जारी कर दिया है, लेकिन जिस प्रोजेक्ट को दो वर्षों के भीतर पूरा कर लेने का लक्ष्य निर्धारित व घोषित किया गया था, उस दिशा में बिना काम शुरू हुए दो वर्ष से ज्यादा का समय बीत चुका है। पूर्व डीआरयूसीसी सदस्य पटेल ने बताया कि इस संदर्भ में मुख्यमंत्री से अब तक चार बार मुलाकात-चर्चा होने पर उनका दृष्टिकोण हर बार सकारात्मक रहा है। एक माह पहले 31 अक्टूबर को मरवाही उप चुनाव के सिलसिले में मनेंद्रगढ़ प्रवास के दौरान लेदरी रेस्ट हाउस में संपन्न प्रेस-कॉन्फ्रेंस में इस मुद्दे पर पूछे गए सवाल पर मुख्यमंत्री ने संबंधित अधिकारियों से चर्चा कर निर्णय घोषित करने आश्वस्त किया था। इसके पहले 8 मई 2020 को छत्तीसगढ़ शासन की ओर से पूर्व डीआरयूसीसी सदस्य को प्रेषित पत्र द्वारा स्पष्ट तौर पर सहमति जताते हुए अवगत कराया गया था कि उपरोक्त परियोजना के लिये राज्यांश की राशि-वितरण का प्रकरण राज्य शासन स्तर पर विचाराधीन है। इन सबके बावजूद ठोस निर्णय-क्रियान्वयन में जो देरी हो रही है, उससे बाध्य होकर मुख्यमंत्री का आदरपूर्वक ध्यानाकर्षित करने विगत 25 अगस्त से लगातार और अटूट सायं 5 बजे से गाँधी चैक मनेन्द्रगढ़ में 5 मिनट का घण्टा बजाकर सत्याग्रह करते आज पूरे 100 दिन हो चुके हैं, लेकिन रेल-पटरियां जहां बिछनी है उसे चिन्हांकित कर दोनों ओर पत्थर गाड़कर और प्रभावितों का मुआवजा हेतु सूची तैयार कर लेने तक का प्रारंभिक काम शुरू करने के बाद आगे का कार्य रोक दिये जाने से जहां एक ओर उम्मीदों पर अविश्वसनीयता के बादल छाए हुए हैं। वहीं दूसरी ओर विलंब होने से लागत में अनावश्यक वृद्धि होने की पूर्ण संभावना की आशंका है।
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