
कोरोनाकाल में जिले की महिलाएं वन विभाग से जुड़कर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर ली है। जिले की 3 हजार से अधिक महिलाएं वनौषधि और सैनिटाइजर से इस साल साढ़े 8 लाख रुपए की कमाई कर चुकी। अवैध शराब बनाने के लिए बदनाम महुआ ना केवल कोरोना संक्रमण से चल रही जंग में मजबूत हथियार साबित हुआ बल्कि लॉकडाउन के दौरान महिलाओं को आर्थिक आत्मनिर्भरता की राह भी दिखाई।
जिले के बेल्जियम से पढ़ाई करके लौटे युवा वैज्ञानिक समर्थ जैन और वन विभाग के संयुक्त प्रयास से महिलाएं अब आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ रही हैं। जशपुर जिले में बना महुअा सैनिटाइजर की ख्याति छत्तीसगढ़ की सीमा से बाहर निकल कर दिल्ली, हरियाणा, आंधप्रदेश और उत्तर प्रदेश तक पहुंच चुकी है। इन राज्यों से शत प्रतिशत हर्बल सैनिटाइजर का आर्डर लगातार मिल रहा है। शुरुआती दौर में मिली सफलता से उत्साहित महिला स्व सहायता और जिला प्रशासन अब सैनिटाइजर उत्पादन की क्षमता बढ़ाने की तैयारी में जुटी है। तात्कालीन कलेक्टर और डीएफओ ने इसे तत्काल स्वीकृति देते हुए प्रयोग शुरू किया था। समर्थ जैन ने बताया कि मधुकम के नाम से बाजार में उतारे गए इस हर्बल सैनिटाइजर के निर्माण में 70 प्रतिशत महुआ अल्कोहल के साथ प्राकृतिक सुगंधित तेल का उपयोग किया गया। जिले की महिला स्व सहायता समूह इस कार्य के लिए वन विभाग से जुड़कर मार्च से लेकर अब तक 6 हजार 73 लीटर सैनिटाइजर का निर्माण कर चुकी है। इनमें से पांच हजार 500 लीटर सैनिटाइजर बेच चुकी हैै। महिला समूह ने 22 लाख रुपए का सैनिटाइजर बेच चुकी है। इसमें 5 लाख रुपए का शुद्ध लाभ भी मिल चुका है।
वनौषधियों से कमाए साढ़े 3 लाख रुपए से अधिक
महिला समूहों के द्वारा जिले में सैनिटाइजर का निर्माण करने के साथ ही कोरोनाकाल में वनौषधि बनाने के कार्य में भी जुड़ी रही। महिलाओं द्वारा जिला मुख्यालय के पनचक्की वनौषधि केंद्र में च्यवनप्राश, कौच पाक एवं वसावलेह का निर्माण कार्य किया। महिलाओं ने इस वर्ष 30 किलो वनौषधि का निर्माण कर 13.46 लाख रुपए का वनौषधि की बिक्री करते हुए महिलाओं ने 3.50 लाख रुपए का शुद्ध लाभ अर्जित कर चूकी हैं।
वनोपज संग्रहण से 23 समितियों को मिला काम
जिले की 3 हजार से अधिक महिलाओं ने इस वर्ष वनोपजों के संग्रहण का भी कार्य किया है। वनोपजों के संग्रहण करने के लिए जिले की 23 समिति लगी हुई थी। समितियों द्वारा इस वर्ष महुवा फूल सहित 21 अन्य वनोपजों का संग्रहण किया है। इस वर्ष समितियों के द्वारा 19525.44 क्विंटल वनोपजों का संग्रहण कार्य किया है। समितियों के द्वारा इस वर्ष 4 करोड़ रुपए का संग्रहण कार्य किया गया है। महिलाओं ने इस वर्ष वनोपजों का संग्रहण कर भी अपनी आर्थिक स्थिति को समृद्ध की है।
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