सरगुजा संभाग में सहकारी समितियों में किसानों के नाम बिचौलियों ने किसान क्रेडिट कार्ड स्कीम के तहत करोड़ों का लोन ले रखा है। उसी के एवज में उन किसानों के नाम पर बिचौलिया धान बेचने की फिराक में हैं। हर समिति में कम से कम दस बिचौलिया सक्रिय हैं, जो बैंक प्रबंधकों से सांठगांठ कर लोन लेने के बाद धान बेच रहे हैं।
सूरजपुर, बलरामपुर और सरगुजा के 120 धान खरीदी केंद्रों में 700 से अधिक बिचौलिया सक्रिय हैं। हर बिचौलिया औसत दस किसानों के नाम पर कुल सात हजार किसानों के नाम पर 35 करोड़ से अधिक का धान बेचते हैं। तत्कालीन कलेक्टर एलेक्स पाल मेनन ने तहसीलदारों के माध्यम से संदिग्ध बिचौलियों की सूची तैयार कराई थी। भास्कर पड़ताल में खुलासा हुआ है कि बिचौलिया खरीफ मौसम में ही किसानों के नाम पर लोन ले लेते हैं। इसके बाद वे सहकारी बैंक में किसानों को ले जाकर पैसा निकलवा लेते हैं तो अधिकतर किसानों के नाम पर चेकबुक ले रखे हैं। वे किसान के खाते का पैसा ट्रांसफर करा लेते हैं। इसके बाद किसानों के खेत की गिरदावरी में पटवारियों से सांठगांठ कर उन किसानों के नाम पर धान चढ़वा लेते हैं।
13 सौ रुपए में धान खरीदकर 25 सौ रुपए क्विंटल में बेचते हैं
पड़ताल में सामने आया है कि बिचौलिया 13 सौ रुपये में धान खरीदकर 25 सौ क्विंटल में बेचते हैं। इसमें उनका महज 100 रुपए क्विंटल में खर्च आता है। इस तरह उन्हें नौ सौ रुपए क्विंटल में फायदा होता है। ऐसे में कम से कम तीन जिलों के बिचौलिए समितियों में धान बेचकर 15 करोड़ से अधिक की आमदनी पाते हैं।
हर किसान के नाम पर 50 हजार का धान बेचते हैं बिचौलिया
समितियों में किसान के नाम पर 700 सौ से अधिक बिचौलिया सात हजार किसानों के नाम पर प्रति किसान औसत दो एकड़ रकबा के हिसाब से 30 क्विंटल धान बेचते हैं। इस तरह एक किसान के नाम पर 25 सौ रुपए क्विंटल पर 50 हजार रुपए का धान बेच रहे हैं। इस तरह सात हजार किसानों के नाम पर कुल 35 करोड़ का धान बेच रहे हैं।
दिखावे की रहती है सख्ती किसानों पर कार्रवाई नहीं
अधिकारियों द्वारा दिखावे की सख्ती खरीदी केंद्रों में की जाती है। जिन किसानों के नाम पर धान बेचा जाता है उन किसानों व बिचौलियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं की जाती है। इस कारण बिचौलियों का रैकेट खत्म नहीं किया जा सका है। जानकारों का कहना है कि अगर सभी समितियों में केसीसी लोन लेने वाले किसानों की जांच की जाए तो बड़ा खुलासा होगा।
बिचौलियों से सांठगांठ वाले कर्मियों पर होगी कार्रवाई
सरगुजा कमिश्नर जे किंडो ने कहा है कि बिचौलियों की लिस्ट तैयार की जाएगी ताकि वे धान न बेच सकें। इसके लिए कलेक्टरों को कहा जाएगा। वहीं सभी समितियों में ऐसे किसानों पर निगरानी रखी जा रही है जिनके नाम पर बिचौलिये धान बेचते हैं। बिचौलियों से सांठगांठ वाले अधिकारियों व किसानों पर भी कार्रवाई होगी।
ऐसे करते हैं धांधली: पंजीयन के बाद बिचौलिया किसान के घर में ले जाकर धान डम्प कर देते हैं और फिर उसका सत्यापन कराकर उसे टोकन कटवाकर बेचने के लिए समिति ले जाते हैं। समिति में अधिकारियों की सख्ती पर किसान को भी ऋण पुस्तिका पकड़ा कर धान के साथ बैठा देते हैं। इसके एवज में उन किसानों को हजार पांच सौ या खेती के समय धान बीज दे देते हैं और उसका पैसा नहीं लेते हैं। इसकी वजह से किसान भी उनका साथ देते हैं। इस गड़बड़ी की पूरी जानकारी सहकारी समितियों के प्रबंधक और कर्मचारियों को होती है, लेकिन कार्रवाई नहीं करते।
सिस्टम में खामी: प्रशासन की बिचौलियों पर मेहरबानी
बलरामपुर जिले के त्रिकुंडा और भंवरलाल सहकारी समिति में दो साल में धान खरीदी के दौरान बिचौलिए धान खपाने की कोशिश कर पकड़े गए थे। लेकिन उन पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। मंडी टैक्स वसूल कर उन्हें छोड़ दिया गया। जबकि उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजा जाना चाहिए था।
गोपालपुर सहकारी समिति के इलाके में एसडीएम ने एक बिचौलिया को किसान के घर धान भंडारित करते हुए पकड़ा था। उसे जेल भेज दिया गया था। इसके अलावा धन्धापुर सहकारी समिति में भी धान पकड़ा गया था, लेकिन उस पर भी ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
सरगुजा के धौरपुर इलाके में समिति में बिचौलिये के धान को बेचते हुए चार किसानों को पकड़ा था। इस पर भी किसानों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई। इसके अलावा का बिचौलिया भी इसी इलाके में धान बेचते पकड़ा गया था, लेकिन उस पर भी कार्रवाई न कर मामले की फाइल दबा दी गई।
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