झामुमो ने आरोप लगाया है कि रांची नगर निगम में सौदेबाजी पर आधारित मेयर, डिप्टी मेयर और चीफ इंजीनियर का गठजोड़ बन गया है। बोर्ड की बैठक में उन्हीं प्रस्तावों को पास किया जाता है, जो सौदेबाजी पर आधारित होते हैं। बोर्ड की बैठक में 110 योजनाएं भेजी जाती हैं, 38 स्वीकृत होती हैं। चुन-चुन कर उन योजनाओं को हटा दिया जाता है, जहां हरिजन, आदिवासी और मूलवासी रहते हैं या फिर झामुमो, कांग्रेस और राजद के वोटर रहते हैं।
झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने आरोप लगाते हुए आगे कहा कि विधानसभा और लोकसभा का चुनाव सत्ता परिवर्तन के लिए होता है, लेकिन निकायों के चुनाव मूलभूत जरूरतों को केंद्र में रखकर होते हैं। बैठक में रांची नगर निगम के 13 वार्डों के पार्षद भी मौजूद थे।
उन्होंने इन वार्डों की योजनाओं की सूची भी प्रस्तुत की, जिन्हें अस्वीकृत कर दिया गया। उन्होंने कई योजनाओं का नाम लेते हुए आरोप लगाया कि इसे पूरा नहीं होने देने के लिए मेयर और डिप्टी मेयर संकल्पित हैं। उन्होंने कहा कि मेयर और डिप्टी मेयर को या तो सुधरना पड़ेगा या तो उतरना पड़ेगा।
विगत पांच वर्षों का नगर निगम का ऑडिट कराएं
सुप्रियो भट्टाचार्य ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि विगत पांच वर्षों का नगर निगम का ऑडिट कराया जाए। खास कर 2014-15 का। यह तय किया जाये कि इसमें मेयर और डिप्टी मेयर की क्या मिलीभगत है। तत्कालीन नगर विकास मंत्री सीपी सिंह के कार्यकाल की भी जांच कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि नगर निगम के जनप्रतिनिधि जल्द सीएम से मिल कर शिकायत करेंगे। अगर तब भी सुधार नहीं हुआ, तो सरकार निर्वाचित प्रतिनिधियों को सीधे पैसा देने व्यवस्था की जाएगी।
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