डिनाेबिली स्कूल सीएमआरआई में एलकेजी दाखिले के लिए जारी फाॅर्म में धर्म के विकल्पाें में सरना हाेने के मुद्दे पर विवाद शुरू हाे गया है। झारखंड अभिभावक महासंघ ने इस मामले में पीएमओ, गृह मंत्रालय, केंद्रीय शिक्षा मंत्री से साेशल मीडिया के जरिए शिकायत करते हुए संज्ञान लेने का अनुराेध किया है। महासंघ के महासचिव मनाेज कुमार मिश्रा ने कहा है कि स्कूल की ओर से आदिवासी अभिभावकों को सरना धर्म लिखने को नियम के विरुद्ध बाध्य किया जा रहा है।
वहीं, ईसाई बच्चों की जन्मतिथि के रूप में बैप्टिज्म प्रमाण को मान्यता देकर अन्य धर्माें के साथ भेदभाव किया जा रहा है। एडमिशन फाॅर्म में नाम, जन्म तिथि, मातृभाषा आदि के साथ-साथ धर्म की जानकारी मांगी गई है। इसके लिए ईसाई, हिंदू, मुस्लिम, सिख, सरना और जैन का विकल्प दिया गया है। गाैरतलब है कि झारखंड सरकार ने आदिवासियाें के लिए केंद्र को अलग धर्म काेड बिल पर विचार करने का प्रस्ताव भेजा है। झारखंड विधानसभा से संशोधन के बाद सरना आदिवासी धर्म कोड का प्रस्ताव पारित हो गया है।
आदिवासियाें का काेई धर्म नहीं, वे प्रकृति के उपासक
वहीं, डिनाेबिली सीएमआरआई के प्राचार्य जाेसेफ केए ने कहा कि सरना का मतलब आदिवासी हाेता है। आदिवासियाें का काेई धर्म नहीं हाेता है, वे हिंदू, ईसाई, सिख आदि धर्माें में से किसी में नहीं आते हैं। वे प्रकृति की ही पूजा करते हैं, जिसे सरना कहते हैं। इसलिए आवेदन फाॅर्म में सरना शब्द का विकल्प दिया गया है, ताकि उनका पता चल पाए। ईसाई धर्मावलंबियाें के लिए बैप्टिज्म प्रमाणपत्र मांगा गया है, जाे सही है।
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