रांची से 29 किमी दूर है टोटाम्बी गांव। सब्जी उत्पादन से पूरी तरह आत्मनिर्भर। हर माह गांव की आय एक करोड़। यानी 200 घरों वाले आदिवासी बहुल टोटाम्बी में हर घर की मासिक कमाई 50 हजार। कोरोनाकाल में दूसरे राज्यों से गांव लौटे लोगों ने आपदा को अवसर बनाने की मिसाल पेश की। खेती को आजीविका बनाया और हर महीने 360 टन सब्जी का उत्पादन कर रहे हैं। राजधानी के बाजारों में बिकने वालीं सब्जियां ज्यादातर इसी गांव की होती हैं। रांची के ब्राम्बे और मखमंदरो मंडी तक रोज 12 टन सब्जी पहुंचती है। कई व्यापारी गांव से सीधी खरीदारी कर सब्जी रांची ले जाते हैं। सालाना 12 करोड़ रुपए का कारोबार हो रहा है।
मई में चेन्नई से लौटे ग्रामीण, फिर खेती को ही किस्मत बना ली
गांव के बूढ़ेश्वर उरांव, सूरज उरांव, हरलाल उरांव मई में चेन्नई से घर लौटे थे। बोले- कुछ लोग अच्छी खेती करते थे। उन्हें देखकर हमलोगों ने भी शुरू की। खेती में कृषि विज्ञान का सहारा लिया और आधुनिक तकनीक से खेती शुरू की। दो-तीन महीने परेशानियां आईं, लेकिन अगस्त से अच्छा परिणाम मिलने लगा। अब सब्जी से हर घर की कमाई 50 हजार रुपए मासिक से ज्यादा है। आठ माह में ही यहां के सभी कच्चे मकान पक्के हो गए हैं। उन्होंने कहा कि गांव की खुशहाली का राज हरी सब्जियां हैं।
आधुनिक तकनीक से खेती कर बदल डाली गांव की सूरत
कृषि विशेषज्ञ मनोज कुमार के अनुसार, टोटाम्बे के ग्रामीण आधुनिक तकनीक से खेती करते हैं। ड्रिप इरिगेशन के लिए प्रधानमंत्री कृषि योजना के तहत 90% अनुदान मिलता है। यहां के किसानों ने योजना का भरपूर लाभ उठाया और नतीजा है कि रांची के बाजारों में हर दिन 12 टन, यानी करीब 3.50 लाख की सब्जी आपूर्ति की जाती है। अक्टूबर से फरवरी तक सब्जी की अधिकतम पैदावार होती है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3sbW81g






No comments:
Post a Comment