जिले में बारदानों की समस्या से तो किसानों को जूझना पड़ ही रहा है अब खरीदी केंद्रों से धान के उठाव की गति बेहद धीमी होने का असर भी खरीदी पर पड़ रहा है। शासन का नियम है की खरीदी के 72 घंटों के अंदर खरीदी केंद्र से धान का उठाव हो जाना चाहिए क्योंकि धान का उठाव नहीं होने से खरीदी केंद्र प्रभारियों को सूखत का नुकसान तो झेलना पड़ता ही है उसके अलावा खरीदी केंद्रों में जगह नहीं होने से धान खरीदी कार्य प्रभावित होता है।
जिले में इस नियम का कहीं भी पालन नहीं हो रहा है। हालत ये है की खरीदी शुरू हुए 35 दिन बीत चुके हैं लेकिन अभी तक मात्र 14 प्रतिशत धान का ही उठाव केंद्रों से हो पाया है। कुल 125 में से 24 केंद्र तो एेसे हैं जहां अब तक परिवहन शुरू ही नहीं हो पाया है। आधे खरीदी केंद्र ऐसे हैं जहां धान का उठाव 10 प्रतिशत भी नहीं हो पाया है। उठाव नहीं होने से खरीदी केंद्र धान की बोरियों से अटे पड़े हैं तथा प्राय: खरीदी केंद्रों में तो धान रखने जगह तक नहीं बचने से खरीदी कार्य प्रभावित हो रहा है।
- 16.55 लाख क्विंटल जिले में अब तक धान खरीदी
- 2.39 लाख क्विंटल अब तक की स्थिति में उठाव
- 14.16 लाख क्विंटल धान खरीदी केंद्रों में जाम
- 125 धान खरीदी केंद्र हैं कांकेर जिले में
- 24 खरीदी केंद्र शून्य प्रतिशत उठाव वाले
परिवहन की समस्या जरूर लेकिन कहीं खरीद बंद नहीं
धान खरीदी नोडल अधिकारी एसके कनौजिया ने कहा परिवहन को लेकर समस्या जरूर है लेकिन जिले के किसी भी केंद्र में फिलहाल खरीदी बंद नहीं हुई है। जिला विपणन कार्यालय में परिवहन में तेजी लाने कहा जा रहा है।
38 हजार किसानों का धान खरीदना अभी भी है बाकी
परिवहन की गति सुस्त होने से जिले में धान खरीदी की रफ्तार भी घटती जा रही है। जिले में कुल 81 हजार 830 पंजीकृत किसान हैं जिसमें से अब तक की स्थिति में 43 हजार 473 किसान ही अपना धान बेच पाए हैं। यानी अभी मात्र 54 प्रतिशत किसान ही धान बेच पाए हंै। अभी भी 38 हजार 357 यानी 46 प्रतिशत किसानों का धान खरीदा जाना शेष है।
ये हैं जिले के शून्य प्रतिशत
उठाव वाले खरीदी केंद्र
जिले के 24 खरीदी केंद्रों में धान का उठाव शुरू नहीं हो पाया है जहां धाम जाम होने से औैर धान खरीद कर रखने जगह नहीं है। ये केंद्र हैं केंवटी, छोटेकापसी, पीवी 8, कोदापाखा, चारगांव, डोकला, माहूद, दुर्गूकोंदल, सुभियामुड़पार, पखांजूर, कापसी पीढ़ापाल, बागोडार, पीवी 99, बारदा, पीवी 68, परतापुर, बिरनपुर, भैंसासुर, लोहत्तर, शाहवाड़ा, कुम्हानखार, ठेमा तथा गीतपहर।
देरी का असर... सूखकर धान का वजन हो जाता है कम
जिले में 1 दिसंबर से 125 केंद्रों में धान खरीदी शुरू हुई। शनिवार 2 जनवरी तक की स्थिति मेें जिले में 16.55 लाख क्विंटल धान की खरीदी हो चुकी थी। परिवहन मात्र 2.39 लाख क्विंटल यानी मात्र 14.47 प्रतिशत ही हो पाया है। जिले के एक भी खरीदी केंद्र में शासन के खरीदी के 72 घंटों में परिवहन के नियमों का पालन नहीं हो पा रहा है। परिवहन समय पर नहीं होने का खामियाजा खरीदी केंद्र प्रभारियों के अलावा किसानों को उठाना पड़ता है। खरीदी केंद्र में धान लंबे समय तक पड़े रहने से सूखता है जिससे उसका वजन कम हो जाता है। इस नुकसान की भरपाई खरीदी केंद्र प्रभारियों को करनी पड़ती है तथा वे इसका समायोजन किसानों से निर्धारित से अधिक मात्रा में धान लेकर करते हैं। यानी नुकसान होता है सीधा किसानों यानी अन्नदाता का। दूसरा खामियाजा भी किसानों को ही उठाना पड़ता है क्योंकि खरीदी केंद्रों में धान के बोरे जाम होने से नया धान खरीदी करने के बाद रखने के लिए जगह नहीं होती। इसके चलते किसानों को अपनी बारी के लिए खरीदी केंद्रों में दो से तीन दिन इंतजार करना पड़ता है। यही नहीं केंद्र में जगह नहीं होने से धान की बोरियों की छल्लियां ऊंची लग जाती है। नए खरीदे गए धान की बोरियों को ऊंचाई तक जमाने में किसानों को अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ती है। इसका भी अतिरिक्त भुगतान किसानों को अपने स्तर पर करना पड़ता है।
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