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Wednesday, January 6, 2021

आदिवासी की जमीन बेचने की अनुमति देने वाले रिटायर्ड अपर कलेक्टर को अंबिकापुर से किया गया गिरफ्तार

आदिवासी महिला के स्वामित्व की जमीन अपर कलेक्टर के साथ सांठगांठ कर बिल्डर ने बेच कर पूरी रकम नकद और चेक के माध्यम से अपनी फर्म मां वैष्णव एसोसिएट प्राइवेट लिमिटेड के खाते में जमा करा लिया। इतना ही नहीं पीड़िता को खाली हाथ घर रवाना कर दिया।
मामले की शिकायत के बाद रिटायर्ड अपर कलेक्टर एडमोंड लकड़ा को पुलिस ने बुधवार को अंबिकापुर के निजी निवास से गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया है। बिल्डर संजय अग्रवाल पहले से कई मामलों में जेल में है। जांच में पुलिस ने आदिवासी महिला की जमीन को गैर आदिवासी व्यक्ति को बेचने में मदद करने और भू-राजस्व संहिता का उल्ल्घंन करने का दोषी अपर कलेक्टर को बताया है। मामला 18 सितंबर 2020 का बताया जा रहा है। जब प्रार्थी संत कुमार चेरवा पिता रामसाय जाति चेरवा की शिकायत पर 50 वर्षीय आरोपी संजय अग्रवाल से प्रार्थी ने कुछ रकम उधार लिए थे। इसके बदले में आरोपी द्वारा प्रार्थी को जबरन झूठे प्रकरणों में गवाही देने हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य किया गया और हस्ताक्षर करने से मना करने पर जातिगत गाली-गलौज करते हुए जान से मारने की धमकी दी गई। यही नहीं प्रार्थी को धोखे में रख कर फर्जी मुख्तयारनामा तैयार कर उसी के आधार पर छल पूर्वक जमीन की बिक्री करने के संबंध में जिला मुख्यालय स्थित थाना अजाक में धारा 294, 506, 420, 46, 468, 471, 374 आईपीसी समेत अन्य धाराओं में केस दर्ज कर विवेचना में लिया गया।
अपराध की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए जांच डीएसपी रैंक के अफसर को सौंपी गई और जांच आगे बढ़ने के साथ ही आरोपी संजय अग्रवाल द्वारा ग्राम रामपुर स्थित बुजुर्ग महिला शांतीबाई पति शिवनारायण जाति गोंड़ के स्वामित्व की भूमि खसरा नंबर 107/1 को अनुसूचित क्षेत्रों के लिए भू-राजस्व संहिता के उपबंधो के विरूद्ध कार्य करते हुए पहले डायवर्टेड जमीन बता अपने वाहन चालक राजेश सिंह जाति क्षत्रीय सामान्य वर्ग के नाम पर पंजीयन कराया। मामले से बचने के लिए आरोपी ने प्रकरण के प्रार्थी संत कुमार चेरवा को रजिस्ट्री में साक्षी बनाने की बात कहकर छल पूर्वक अरविंद सिंह का मुख्तारनामा बनवाया। जनवरी 2018 में अरविंद सिंह जाति गोड़ की मौत के बाद अवैध मुख्तारनामा का उपयोग कर उक्त भूमि को बेचकर राशि ले ली, जबकि अरविंद की मौत के बाद उक्त जमीन उसकी पत्नी के नाम पर होनी चाहिए थी।

जांच में मिले दोषी, अन्य की खोजबीन जारी
डीएसपी धीरेंद्र पटेल ने बताया कि आदिवासी महिला की 7 एकड़ स्वामित्व की जमीन को बिल्डर ने करीब 24 लाख रुपए में षड़यंत्र कर बेच दी। नकद और चेक के माध्यम से राशि अपनी फर्म मां वैष्णव एसोसिएट प्राइवेट लिमिटेड में जमा कर ली था और पीड़िता को बिना कुछ रकम दिए घर रवाना कर दिया था। तत्कालीन अपर कलेक्टर एडमोंड लकड़ा को आदिवासी की जमीन को गैर आदिवासी को बेचने के लिए अनुमति देने और भू-राजस्व संहिता के प्रावधानों का उलंघन करते हुए उक्त पंजीयन के लिए अनुमति देने का दोषी पाया गया। जांच के दौरान प्रकरण में आरोपियों के द्वारा षडयंत्र के तहत खरीदी बिक्री का मामला सामने आया। अन्य आरोपियों की खोजबीन की जा रही है।

सुनवाई में 23 प्रकरण में जमीन बेचने की अनुमति दी
जानकारी के अनुसार अपर कलेक्टर के खिलाफ एक दिन में 33 मामलों की सुनवाई करते हुए बिल्डर संजय अग्रवाल को लाभ पहुंचाने के खिलाफ भी चरचा थाना में केस दर्ज किया गया था। जिला प्रशासन ने अपर कलेक्टर एडमोंड लकड़ा को 28 अगस्त 2014 को कोरबा जिला के लिए रिलीव दिया, लेकिन अपर कलेक्टर लकड़ा ने स्थानीय बिल्डर्स को लाभ पहुंचाने और लेन-देन कर तबादला रिलीव के दिन जमीन से संबंधित विवाद के 33 प्रकरणों पर फैसला सुनाया था। जमीन विवाद के प्रकरणों में 10 मामले 26 अगस्त को दर्ज किए गए थे और 28 अगस्त 2014 को फैसला कर दिया गया।

23 प्रकरणों में जमीन बेचने दी थी अनुमति
अपर कलेक्टर को 28 अगस्त 2014 को कोरबा के लिए रिलीव कर दिया था, लेकिन अपर कलेक्टर ने 28 अगस्त को 23 प्रकरणों में भूमि बेचने की अनुमति दे दी थी, जबकि भूमि बेचने के पहले अनुमति लेने और ईश्तहार जारी करने में 15 दिन से अधिक समय लगता है।



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Retired Additional Collector who was allowed to sell tribal land arrested from Ambikapur


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