प्रदेश को कोरोना वायरस मुक्त बनाने के लिए सभी 28 जिलों से जांच के लिए विदेश से आने वाले सभी लोगों समेत जमातियों व अन्य संदिग्ध मरीजों के स्वॉब के सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे गए। सैंपल की जांच रायपुर स्थित एम्स समेत रायपुर व बस्तर के मेडिकल कॉलेज में की जा रही है। अब तक सभी जिलों को मिलाकर लगभग 14 हजार सैंपल जांच के लिए भेजे जा चुके हैं। जिसमें सबसे अधिक 4 हजार सैंपल कोरबा जिले से हैं। हालांकि प्रदेश में अब तक मिले 37 कोरोना संक्रमित मरीजों में सबसे अधिक 28 मरीज भी कोरबा के ही है। दरअसल कटघोरा के पुरानी बस्ती स्थित जामा मस्जिद में ठहरे जमाती किशोर के कोरोना पॉजिटिव मिलने के बाद लगातार क्षेत्र से संक्रमित मरीज मिले तो प्रशासन ने संपर्क में आने वालों को क्वारेंटाइन करने के साथ ही उनका सैंपल लिया गया। वहीं आसपास रहने वालों की सैंपलिंग भी कराई गई। जिससे कोरोना संक्रमित होने पर उन्हें जल्द इलाज के लिए भेजने के साथ ही संक्रमण की रोकथाम की जा सके। इस तरह प्रदेश में सबसे ज्यादा सैंपल कोरबा जिले से जांच के लिए पहुंचे। जबकि सबसे कम 73 सैंपल बीजापुर, 79 नारायणपुर व 90 मुंगेली से भेजे गए। कोरबा के अलावा जिन जिलों में कोरोना संक्रमित मिले उनमें रायपुर से 26 सौ सैंपल, दुर्ग से 1283, बिलासपुर से 579, राजनांदगांव से 437 सैंपल ही जांच के लिए भेजा गया।
अलग-अलग समय पर मरीजों को बुलाएं अस्पताल
कलेक्टर किरण कौशल ने निजी चिकित्सक व नर्सिंग होम संचालकों की बैठक ली। उनसे कहा कि मरीजों की भीड़ न हो इसके लिए मोबाइल फोन पर जानकारी देकर अलग-अलग समय पर अस्पताल बुलाएं। हॉस्पिटल में फीवर क्लीनिक बनाकर सर्दी, खांसी व बुखार के मरीजों का इलाज किया जाए। ताकि सामान्य मरीजों से वे अलग रहें। उनके संपर्क में नहीं आएं। मरीजों के प्रवेश और बाहर निकलने के लिए अलग-अलग प्रवेश और निकासी द्वार हो। मरीजों को इलाज के लिए भटकना न पड़े इसके लिए अस्पताल, नर्सिंग होम का नियमित संचालन करने कहा। इस दौरान फिजिकल डिस्टेंसिंग बनी रहे इसका भी ख्याल रखा जाए। उन्होंने अस्पताल के सभी कमरे और परिसर को नियमित रूप से एक प्रतिशत सोडियम हाइपरक्लोराइड से सैनिटाइज कराने कहा। कलेक्टर ने मरीजों से भी अपील की है कि वे उपचार के दौरान डाक्टरों और मेडिकल टीम की सुरक्षा संबंधी मापदंडों का अनिवार्य रूप से पालन करें। अस्पताल में आने वाले सभी मरीजों को कोरोना के संदिग्ध मानकर किसी भी मरीज से भेदभाव न करें। आपातकालीन स्थिति वाले मरीजों को अस्पताल में भर्ती कर उनका इलाज करें। कलेक्टर ने मरीजों व उनके साथ आने वाले परिजनों से भी अपील की है कि अस्पताल परिसर में गंदगी न फैलाएं। यहां-वहां न थूके, अनावश्यक भीड़ न लगाएं। आपातकालीन स्थिति में मरीजों को लाने-ले जाने के लिए उपयोग में आने वाले वाहन को स्थिति को देखते हुए अनुमति प्रदान की जाएगी। ताकि मरीजों को अस्पताल पहुंचने में असुविधा न हो।
लाॅकडाउन खुलने के बाद भी कटघोरा को नहीं मिलेगी राहत: कटघोरा कोरोना का हाट स्पॉट है। इसकी वजह से कोरबा जिला रेड जोन में शामिल है। अगर तीन मई को लॉकडाउन खुलता है तो भी कटघोरा को राहत नहीं मिलेगी। अभी यहां जांच की प्रक्रिया चल ही रही है। आसपास क्षेत्रों के लोगों को राहत देने के लिए सब्जी मार्केट खोलने के बजाय बेचने के लिए छूट दी गई है। मरीजों की संख्या अब कम हो गई है। ऐसे में प्रशासन ने राहत की सांस ली है।
एंटी बॉडी रैपिड टेस्ट किट भेजी जाएगी वापस
कोरोना वायरस के संक्रमण के बीच जांच के लिए आईसीएमआर ने कटघोरा में जांच के लिए 2 हजार किट दी थी। रैपिड टेस्ट किट पर रोक लगने से पहले कटघोरा में करीब 7 सौ व रविवार को लगभग ढाई सौ लोगों की जांच की गई। रैपिड टेस्ट किट से किए गए सभी जांच की रिपोर्ट निगेटिव आई है। अब प्रदेश सरकार बची हुई रैपिड टेस्ट किट को आईसीएमआर को वापस करेगा। इसलिए जिले में बचे लगभग 1 हजार किट वापस मंगाई हैं।
10 दिन में 2 हजार सैंपल, रिपोर्ट निगेटिव
कटघोरा में अंतिम कोरोना संक्रमित 1 मरीज 17 अप्रैल को मिला था। जबकि इसके बाद इन 10 दिनों के भीतर वहां से लगभग 2 हजार सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे। राहत की बात यह रही कि इतने सैंपल में एक भी रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं मिला और पूरे की रिपोर्ट निगेटिव आई। हालांकि एंटी बॉडी रैपिड टेस्ट किट से हुए जांच की विश्वसनीयता पर सवाल उठने के बाद कटघोरा में पुलिस जवानों व सफाई कर्मियों समेत जिन 950 लोगों का कोरोना टेस्ट कराया जाएगा।
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