जिले में अब कोरोना के 9 मरीज हैं। मेडिकल कॉलेज के सामने बने मदर एंड चाइल्ड केयर अस्पताल भवन के दूसरे तल में बने कोविड अस्पताल में इन मरीजों का इलाज चल रहा है। डॉक्टर्स मरीजों के इलाज के साथ ही उनके मूड का भी ध्यान रखते हैं। एकांत में चुप रहकर मन में निगेटिव फीलिंग ना आए इसलिए मरीजों से हल्के मूड में बात भी की जाती है। एक डॉक्टर ने बताया कि पुराने 5 मरीज डॉक्टर और मेडिकल टीम से अपने अनुभव साझा करते हैं। एक मरीज ने मुंबई को अच्छा शहर बताया और होटल में काम करने का अपना अनुभव साझा किया। एक ने मुंबई की टायर फैक्ट्री में काम करने के तरीके बताए।
कोरोना वारियर्स अपना हौसला तो बनाए रखते ही हैं, मरीजों को भी तनाव से दूर करने की कोशिश करते हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि कोरोना पॉजिटिव पाए जाने पर जब अस्पताल लाए गए तो शुरू के 3-4 दिनों में मरीजों के मन में भय था। लेकिन वे पूरी तरह स्वस्थ महसूस कर रहे हैं और पूछते हैं कि घर कब जा सकेंगे। डॉक्टरों के मुताबिक कोरोना पीड़ित मरीज की नियमित जांच हो रही है। 10वें दिन उनका आरटीपीसीआर टेस्ट फिर किया जाएगा, जांच रिपोर्ट निगेटिव आएगी और हेल्थ सही होगा तो उन्हें 14वें दिन घर जाने दिया जाएगा। मरीज डॉक्टरों से वादा कर रहे हैं कि ठीक होकर गांव लौटने पर वे ग्रामीणों को कोरोना पर जागरूक करेंगे। सोशल डिस्टेंसिंग और जरूरी एहतियात बरतने के लिए प्रेरित करेंगे।
नहीं दिखते कोरोना के लक्षण, नियंत्रण बड़ा टास्क
कोविड-19 हास्पिटल के डाॅक्टरों ने बताया कि बिना लक्षण के मरीज मिल रहे हैं। ऐसे में बीमारी से लड़ना बड़ी चुनौती है। लगातार प्रवासी मजदूरों के आने का सिलसिला बढ़ रहा है। बाहरी राज्यों के अलावा रेड जोन से आने वाले व्यक्तियों की सही जांच नहीं हुई तो खतरा बढ़ेगा। इसके साथ ही आने वाले दिनों में स्थिति और बिगड़ सकती है। संक्रमित राज्यों से आने वाले ज्यादातर लोगों में किसी भी तरह के लक्षण नहीं है, ऐसे में इनमें संक्रमण ढूंढना भी मुश्किल है। एक डॉक्टर ने कहा, रैपिड जांच से नहीं होगा बल्कि संक्रमित क्षेत्रों से लौट रहे लोग या संदिग्धों के संपर्क में आए लोगों का आरटीपीसीआर टेस्ट कराने से ही संक्रमण पर बेहतर तरीके से काबू पाया जा सकता है।
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