झीरम नक्सल हत्याकांड की सातवीं बरसी पर 25 मई को फिर राजनीति गरम हुई। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि झीरम राजनैतिक नरसंहार था। इसकी सच्चाई बाहर आनी चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की धीमी जांच की वजह से हत्याकांड के गुनहगारों को सजा नहीं मिली और शहीदों के परिजनों को न्याय नहीं मिला। इस पर विपक्ष का पलटवार भी हुआ। सातवीं बरसी के मौके पर सीएम बघेल ने बस्तर विश्वविद्यालय का नाम बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा के नाम पर करने की घोषणा की है।
भूपेश ने कहा- एनआईए ने षड्यंत्र की जांच नहीं की
सीएम बघेल ने पत्रकारों से चर्चा में कहा कि झीरम घाटी हत्याकांड के षडयंत्र की सच्चाई सब जानना चाहते हैं। तत्कालीन सरकार ने इसकी जांच की जिम्मेदारी एनआईए को सौंपी थी। एनआईए ने अपनी जांच पूरी कर ली है, लेकिन इसमें जो षड्यंत्र हुआ था, उसकी कोई जांच नहीं हुई। पकड़े गए नक्सलियों आैर आत्मसमर्पित नक्सलियों के बयान तक नहीं लिए गए। घटनास्थल पर उपस्थित फूलोदवी नेताम सहित कई साथियों के बयान भी नहीं लिए गए। सीएम बघेल ने कहा कि षड्यंत्र का खुलासा नहीं हुआ, इसलिए झीरम कांड की जांच अभी अधूरी है। इस मामले में जांच पूरी हो, सबका बयान हो। जो तथ्य हैं सामने आने चाहिये। एनआईए से हम बार-बार मांग कर रहे हैं कि राज्य सरकार को जांच का जिम्मा सौंप दें।
रमन बोले- एनआईए जांच तो मनमोहन ने शुरू करवाई थी
पूर्व सीएम डॉ. रमन ने कहा कि 7 साल से दिल में राज छुपाकर क्यों बैठे हैं। अब तो सरकार भी उनकी है। 7 साल से तथ्य हैं, सबूत हैं, सुनते आ रहा हूं, ये तथ्य कब सामने आएंगे, पता नहीं। अगर कोई तथ्य है, तो छिपाना भी अपराध है। जस्टिस मिश्रा आयोग और एनआईए ने जांच की है। सबसे पूछताछ की है। कोई तथ्य है तो उसको सामने क्यों नहीं लाया जा रहा? पूर्व सीएम ने कहा कि झीरम घटना से वे भी दुखी हैं। इस घटना के बाद तत्कालीन केंद्र सरकार ने जांच एजेंसी चुनी थी। एनआईए जांच तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निर्देश पर हुई थी।
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