कोरोना कहर और कर्फ्यू के कारण दो महीने कामकाज ठप हो जाने पर सरकार ने मिडिल क्लास और गरीबों के लिए भेजे अनाज को लेकर भी जमकर राजनीति हुई। मिडिल क्लास के आए राशन पर कांग्रेसी नेताओं ने कब्जा जमा चहेतों में बांट दिया।
जबकि गरीबी के आए सरकारी राशन पर भी कांग्रेसी नेता जमकर राजनीति करने में जुटे हैं। नेताओं ने अधिकारियों पर ऐसा दबाव बनाया कि उन्होंने सिर्फ कांग्रेस पार्टी से संबंध रखने वाले डिपो होल्डरों को सरकारी राशन भेज दिया। जबकि अन्य डिपो होल्डरों को ठेंगा दिखा दिया।
जिसको लेकर अब लोग सरकारी राशन लेने के लिए डिपो पर धक्के खाने को मजबूर हैं। इस संबंध में राज कुमार, राजू, हरनेक सिंह, कुलदीप सिंह ने बताया कि जब भी डिपो पर सरकारी राशन लेने जाते हैं तो डिपो होल्डर उन्हें यह कह वापस भेज देता है कि राशन अभी आया नहीं है।
उनके आधार कार्ड की फोटो कापी लेकर रख ली, जबकि कांग्रेसी नेताओं के डिपुओं पर लगभग सरकारी राशन बांटा भी जा चुका है।
इस संबंध में डिपो होल्डरों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एक डिपो होल्डर फ्री में बांटने वाला सरकारी राशन यदि खुद लेने गया तो उसे 30 से 35 हजार रूपये खर्च लेबर व लेकर आने जाने के पड़ते हैं। उन्हें सरकार की तरफ से एक रूपया तक नहीं मिलने वाला।
फिर वह अपनी जेब से पैसे खर्च कर सरकारी राशन क्यों लेकर आए। उन्होंने कहा कि सरकार उन्हें लेबर का खर्च दे या फिर खुद सरकारी अधिकारी उन्हें राशन डिपो पर भेजें। यही कारण है कि उनके डिपू पर सरकारी राशन नहीं आया। उन्होंने कहा कि कांग्रेसी नेताओं के डर से अधिकारी खुद राशन उनके डिपुओं पर भेज रहे हैं। ताकि कांग्रेसी नेता उनकी बदली न करवा दें।
अधिकारी बोले-सभी काे भेज रहे राशन
इस मामले संबंधी फूड सप्लाई विभाग के एएफएसओ बेअंत सिंह से बात की गई तो उन्होंने आरोपों को नकारते कहा कि सभी डिपो होल्डरों को राशन भेजा रहा है।
उन्होंने कहा कि गेहूं के सीजन और लॉक डाउन के कारण पहले लेबर नहीं मिल रही थी। जिस कारण थोड़ा समय लग गया। लेकिन सभी डिपोओपर विभाग खुद राशन भेज रहा है।
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