मेडिकल कॉलेज के बॉयोकेमेस्ट्री डिपार्टमेंट में लाखों रुपए का केमिकल सप्लाई घोटाला सामने आया है। घोटाले को स्थानीय प्रबंधन की मिलीभगत से तीन सालों से दबाया जा रहा था। अब जब मामले का खुलासा हुआ है तो जांच के नाम पर भी खानापूर्ति की कोशिश जारी है। सूत्रों के अनुसार बायोकेमेस्ट्री डिपार्टमेंट के एक डॉक्टर ने अपने ही डिपार्टमेंट में केमिकल व अन्य सामानों की सप्लाई के लिए अपने परिचित के नाम पर एक कंपनी बना ली थी। इसके बाद डिपार्टमेंट में केमिकल व अन्य सामानों की खरीदी इसी कंपनी के नाम से की जाती थी। बताया जा रहा है कि इस दौरान फर्जी कोटेशन भी बनाए गए थे। यह सिलसिला पिछले तीन सालों से चल रहा था और करीब 90 लाख रुपए के केमिकल की खरीदी डिपार्टमेंट ने अपने ही डिपार्टमेंट के डॉक्टर की कंपनी से कर ली थी।
इसी बीच इस मामले की शिकायत डीएमई व अन्य लोगों से हुई तो मेकॉज के डीन यूएस पैंकरा ने मेडिकल कॉलेज के ही तीन डॉक्टरों की एक टीम जांच के लिए गठित कर दी। इस जांच टीम में दो पुरुष और एक महिला डॉक्टर को शामिल किया गया है। जांच के लिए मेकॉज के ही उन डॉक्टरों को लगा दिया गया है जो पहले से ही भ्रष्टाचार के आरोप झेल रहे डॉक्टर के संपर्क में हैं। ऐसे में अब पूरी जांच पर ही सवालिया निशान खड़े हो गए हैं। गौरतलब है कि अभी कुछ दिन पहले भी इलेक्ट्रिशियन और एसी के मेंटेनेंस के मामले में मेकॉज के जिम्मेदारों पर कमीशन लेने के आरोप हैं। मामले में बिना टेंडर के ही 1 करोड़ 90 लाख रुपए भुगतान करने का आरोप है। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही।
डीन ने कहा- जांच दल बनाया गया है
इधर मेकॉज के डीन यूएस पैंकरा से जब मामले में ज्यादा जानकारी चाही गई तो उन्होंने जानकारी देने से इंकार कर दिया। उनसे जब पूछा गया कि किसी डॉक्टर के खिलाफ कोई जांच चल रही है तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि हां जांच चल रही है। जांच के लिए तीन सदस्यों को नियुक्त किया गया है। इसके अलावा उन्होंने कोई भी जानकारी देने से इंकार कर दिया।
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