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Wednesday, July 29, 2020

राम वनगमन पथ के 105 किमी क्षेत्र में 8 से ज्यादा ऐतिहासिक स्थलों को अच्छी सड़कों से जोड़ेंगे, विकसित करेंगे टूरिस्ट स्पाॅट, सातधार से शुरुआत

अंबु शर्मा | नक्सल हिंसा से ग्रस्त दंतेवाड़ा जिले में पर्यटन के विकास की कोशिशों को गति देने के लिए प्रशासन ने अब राम नाम का सहारा लिया है। दंडकारण्य में राम वनगमन पथ में दंतेवाड़ा जिले का 105 किमी क्षेत्र आ रहा है, जिसमें ऐसे 8 ऐतिहासिक स्थलों का चयन किया गया है जिनसे प्रभु श्रीराम का सीधा जुड़ाव रहा था। इन स्थलों का कायाकल्प करने की तैयारी कर ली गई है। सातधार से गमावाड़ा तक टूरिज्म की संभावनाओं को पंख देने की हर संभव कोशिश की जा रही है।
बाकायदा इसके लिए टीम ने सर्वे कर रिपोर्ट भी राज्य शासन को भेज दी है। ऐसे में अगर अब ठोस रणनीति के साथ राम वनगमन पथ के लिए काम होता है, तो पर्यटन के नजरिये से दंतेवाड़ा को अच्छी पहचान मिलेगी। कलेक्टर दीपक सोनी ने बताया कि राम वनगमन पथ के लिए सर्वे का काम पूरा कर रिपोर्ट राज्य स्तर पर भेज दी गई है। डीएफओ संदीप बलगा ने बताया कि दंतेवाड़ा में 105 किमी का क्षेत्र राम वनगमन पथ केे लिए आ रहा है। 8 जगहों के विकास की रिपोर्ट बनाकर भेज दी गई है। स्वीकृति मिलने के बाद काम शुरू होगा। अभी पौधरोपण का काम किया जा रहा है।
जानिए, दंतेवाड़ा के 8 स्थलों से है श्रीराम का जुड़ाव, यहां विकास की तैयारी..
सातधार
श्रीराम ने माता सीता व लक्ष्मण के साथ कुछ समय सातधार में बिताया था। यहां मुख्य सड़क से पार्किंग स्थल तक सड़क, शौचालय आदि प्रस्ताव में हैं।

मुचनार
माता सीता जंगली फलों की शौकीन थीं। सीताफल, रामफल मुचनार में बहुतायत में हैं। यहां अस्थायी शिविर स्थल, बर्ड वॉचिंग शेल्टर का प्रस्ताव है।

छिंदनार
भैरमबाबा ने श्रीराम का स्वागत किया था। श्रीराम, सीता और लक्ष्मण ने वनवास के दौरान यहां विश्राम किया था। मगरमच्छ स्थान, साइनेज, सड़क मरम्मत आदि प्रस्ताव में हैं।

गमावाड़ा
श्रीराम ने शिकार के पूर्व हथियार, औजार धार किया था। स्थानीय लोगों को लोहा गलाना सिखाया था। यहां पार्किंग, प्रशिक्षण केंद्र, विक्रय स्थल आदि प्रस्तावित हैं।

दंतेवाड़ा
सती के आशीर्वाद के लिए श्रीराम व माता सीता ने पूजा की थी। मंदिर के पास सती शिला भी है। पार्किंग, स्मारिका दुकान, पर्यटक सूचना केंद्र आदि विकसित करेंगे।

गीदम
जटायु गिद्ध के रूप में श्रीराम, माता सीता व लक्ष्मण के प्रति वफादार थे। गीदम को नाम गिद्ध से मिला। यहां जटायु द्वार, जटायु पार्क बनेगा।

नागफनी
नागफनी, पूरनतराई के आसपास का इलाका भी श्रीराम का विश्राम स्थल माना जाता है। यहां नाग मंदिर है। यहां पार्किंग, पानी, तालाब विकसित करना है।

बारसूर
प्रभु श्रीराम ने बारसूर में प्रवेश किया, उस समय तत्कालीन प्रमुखों के साथ समय बिताया। पार्किंग स्थल, ट्राइबल हट्स कम रिसॉर्ट आदि विकसित होंगे।



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सातधार: यहीं से शुरू होगा विकास


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