झारखंड राज्य मनरेगा कर्मी के आह्वान पर जिले के मनरेगा कर्मी सेवा स्थाई करने समेत अन्य मांगों को लेकर बुधवार को तीसरे दिन भी हड़ताल करते हुए कचहरी परिसर में धरना दिया। साथ ही सरकार के विरुद्ध जमकर नारेबाजी की। मौके पर जिला अध्यक्ष शिवदेव लोहरा व जिला सचिव निर्मल उरांव ने कहा कि राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ द्वारा वर्षों लंबित मांगों को लेकर सीएम से वार्ता के लिए पूर्व में आग्रह किया गया था।
मगर इसे लेकर सीएम से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं हुई। जिसके विरोध में मनरेगा कर्मी हड़ताल पर हैं। दोनों नेताओं ने कहा कि तीसरे दिन भी हड़ताल सफल रही है। उनकी मुख्य मांग मनरेगा कर्मियों को स्थाई करना है। मनरेगा कर्मी पिछले करीब 12-13 साल से लगातार अपनी सेवा दे रहे हैं। लेकिन स्थाई नौकरी का कोई ठौर- ठिकाना नहीं है।
उन्हें अफसर मनमाने तरीके से बर्खास्त कर देते हैं। घटना-दुर्घटना होने पर उनके परिजनों को कोई लाभ नहीं मिलता है। कोविड-19 के संक्रमण काल में भी उनकी सुरक्षा पर सरकार का कोई ध्यान नहीं है। उनका ना तो स्वास्थ्य बीमा है और ना ही जीवन बीमा है। उनकी मांगे जायज है। जब तक मांगो पर की पूर्ति नहीं होगी हड़ताल जारी रहेगी। इधर हड़ताल के कारण इसका असर जिले में संचालित मनरेगा योजनाओं में भी दिखने लगा है। मजदूरों व प्रवासी मजदूरों को काम दिए जाने की संख्या घट गई है। प्रत्येक दिन जहां एक पंचायत में 250 से 300 मजदूरों को काम मिलता था। अब हड़ताल के बाद यह घटकर 25 मजदूर तक पहुंच गई है। गुमला सदर प्रखंड के सभी पंचायतों की बात करें तो बुधवार को मात्र 620 मजदूरों को काम दिया जा सका था।
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