बरसात शुरू होते ही क्षेत्र के अंदरूनी पहुंचविहीन गांवों में रहने वाले ग्रामीणों के सामने स्वास्थ को लेकर समस्या हो जाती है। मेंड्रा इलाके के दर्जन भर गांव भगवान भरोसे हो जाते हैं, क्योंकि इनके आस पास कोई स्वास्थ्य केंद्र नहीं है। 40 गांवों के लिए 30 किमी के दायरे में केवल बड़गांव का उप स्वास्थ्य केंद्र है, जिस पर इन गांवों के सैकड़ों लोग आश्रित है। ग्रामीणों ने भास्कर को अपनी समस्या बताई थी। इसके बाद प्रशासन वर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को अवगत कराया गया था। दूसरे दिन स्वास्थ्य विभाग का अमला बाइक से पहुंचविहीन गांव करैमरका पहुंचा, जहां आस-पास गांव रामपुर, उरपाजूरए सहित पारा मंजरा के ग्रामीण पहुंचे। स्वास्थ्य विभाग शिविर लगाकर ग्रामीणों की जांच की।
शिविर में 110 ग्रामीण पहुंचे, जहां उनकी जांच की गई। सर्दी, खांसी, बुखार की दवाई देकर मौसम के अनुरूप खान पान पर नियंत्रण रखने और रोगों से बचने की समझाइश दी गई। 30 मरीजों की खून की जांच की गई। इसमें 12 मलेरिया पॉजिटिव मिले। इसमें 8 बच्चे शामिल हैं।
टीम ने लंबे समय से बुखार, कपकपी से पीडि़त मरीजों के खून की जांच की, जिसमें 12 मरीज मलेरिया पीएफआर से पीड़ित निकले, जिन्हें मलेरिया का डोज देकर सावधानी बरतने कहा। मलेरिया पीड़ित बच्चों में एक की हालत मलेरिया से गंभीर होने के कारण उसे बाहर इलाज के लिए रेफर किया गया। बाइक से गांव पहुंचे डॉ. रितेश देशमुख, अरुण दुग्गा, परमेश्वरी बेलसरिया, रैमो दुग्गा, रघुवीर बघेल, आरती बाला, टिकेश राठौर ने मरीजों की जांच कर दवाई भी दिए।
मितानिन नहीं होने से सर्दी-खांसी का भी नहीं होता इलाज : मेंड्रा पंचायत के सरपंच जग्गुराम सलाम ने कहा इस इलाके के 10-12 गांव के लोग भगवान भरोसे रहते हैं। गांव में मितानिन नहीं होने के कारण छोटी-मोटी बीमारियों (जैसे-सर्दी-खांसी, फीवर) का भी इलाज नहीं हो पाता। लंबे समय से मेंड्रा में स्वास्थ्य केंद्र खोलने की मांग की जा रही है। इसके बाद भी अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई।
हालात पर नजर रखी जा रही : कोयलीबेड़ा बीएमओ दिलीप कुमार सिन्हा ने कहा मेंड्रा इलाके के गांवों में लोगों के बीमार होने की सूचना मिलने के बाद तत्काल मेडिकल टीम भेजकर करैमरका गांव में शिविर लगाया गया। 110 मरीजों की जांच कर दवाई दी गई। खून की जांच में 12 मरीज मलेरिया से पीड़ित मिले। क्षेत्र के हालात पर लगातार नजर रखी जा रही है। जरूरत पड़ी तो फिर स्वास्थ्य शिविर लगाया जाएगा।
इलाके में नहीं है कोई स्वास्थ्य केंद्र और ना ही मितानिन
मेंड्रा गांव को इस साल पंचायत का दर्जा मिला है। इलाके में 10 से अधिक गांवों में ना ही मितानिन है और ना ही आस पास कोई स्वास्थ्य केंद्र हैं। स्वास्थ कार्यकर्ता क्षेत्र में जाकर जरूरत की दवाई देते हैं जो प्रर्याप्त नहीं है। इलाके में कोई आपात स्थिति आ जाए तो अंदरूनी गांव के लोगों को 30 किमी का सफर तय कर बडग़ांव पहुंचना पड़ता है, तब कोई साधन उपलब्ध हो पाता है।
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